पितरागमन
#दोहा छन्द
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भाद्र मास की पूर्णिमा,श्राद्ध पक्ष आरम्भ।
पिंडदान की रीति में,टूटे सारे दम्भ ।।
श्रद्धा पूर्वक दान में,निहित श्राद्ध का अर्थ।
नीति नियम को मानिए,वाद नहीं हो व्यर्थ।।
तर्पण पितरों का करें,दें श्रद्धा के फूल ।
हाथ जोड़ विनती करें,क्षमा करें सब भूल।।
पूर्वज नित पितृ लोक से,देते आशीर्वाद।
उनके ही आशीष से,जीवन है आबाद।।
जीवन में कैसे भरें,यह पितरों का कर्ज।
आदर्शों का अनुसरण,रहे हमारा फर्ज।।
वृद्ध जनों का ध्यान रख,रखिये सेवा भाव।
लोक सभी तब तृप्त हों,पार जगत की नाव।।
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