दोहा छन्द
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निजीकरण पर हो रहा,नित नित वाद विवाद।
सही गलत के फेर में, उर में भरे विषाद।।
तर्क बुद्धि से सोच कर,करिये सही विरोध।
राजनीति हित साधती, इसका रखिये बोध।।
नीति निरूपण जानिए,सबसे टेढ़ी खीर।
नई विरोधी साजिशें, दूजे को दें पीर ।।
निजीकरण के लाभ में, रहे योग्यता सार।
प्रतियोगी व्यापार में, श्रेष्ठ रखे बाजार ।।
निजीकरण से हानि है,कहते चतुर सुजान।
आर्थिक मुद्दा है विषय,निर्धन को नुकसान।।
अपने हित को त्यागिए, सार्थक तभी विरोध।
बिन पेंदे लुढ़का किये,जनमानस में क्रोध।।
अनिता सुधीर आख्या
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२०-०९-२०२०) को 'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-३०३८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
जी हार्दिक आभार
Deleteबेहद खूबसूरत रचना सखी।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार सखी
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteजी हार्दिक आभार
Deleteसमसामयिक विषय पर बहुत सुन्दर दोहा छंद ।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteनिजीकरण पर सार्थक सटीक दोहे ।
ReplyDeleteसुंदर भाव पक्ष।
आभार सखी
ReplyDeleteअपने हित को त्यागिए, सार्थक तभी विरोध।
ReplyDeleteबिन पेंदे लुढ़का किये,जनमानस में क्रोध।।
..वाह! बहुत खूब!
आ0 हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर दोहे।
ReplyDeleteआ0 हार्दिक आभार
Deleteतर्क बुद्धि से सोच कर,करिये सही विरोध।
ReplyDeleteराजनीति हित साधती, इसका रखिये बोध।।
वाह अनिताजी ! जनजागृति के लिए दोहों का सुंदर प्रयोग।
आ0 हार्दिक आभार
Deleteआ0 हार्दिक आभार
Deleteअपने हित को त्यागिए, सार्थक तभी विरोध।
ReplyDeleteबिन पेंदे लुढ़का किये,जनमानस में क्रोध।।
लाजवाब दोहे...
वाह!!!
जी हार्दिक आभार
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