उल्लाला छन्द
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प्रमुख नदी है देश की,गोमुख उद्गम जानिए।
पंच प्रयागों से बनीं,पावन गंगा मानिए।।
आकर फिर ऋषिकेश में,चलतीं हरि के द्वार अब।
गढ़मुक्तेश्वर कानपुर,चलीं इलाहाबाद तब।।
यमुना से संगम किये,स्वागत काशी घाट में।
मिले मोक्ष का द्वार फिर,भव बंधन की काट में।।
खाड़ी है बंगाल की,सुंदरवन डेल्टा रहा।
कपिल संत का धाम है,तीर्थ गंग सागर कहा।।
देवनदी शुभ गंग को,रखें स्वच्छ हम आप सब।
औषधि गुण भंडार से,करना है उपचार अब।।
गंगा जीवन दायिनी,जल जीवन आधार है।
मातु सरिस सब पूजते,ये संस्कृति का सार है।।
कहीं जन्म ले बह चली,नीर जलधि में भर रही।
विकसित होती सभ्यता,लालन पालन कर रही।।
नहीं प्रदूषित कीजिये,ये कृषि का आधार है।
विकसित जल परियोजना,औद्योगिक विस्तार है।।
माटी को बाँधे जड़ें ,रोके मृदा कटाव को।
स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव को ।।
अनिता सुधीर आख्या
©anita_sudhir
उल्लाला छन्द पर रची गयी सुन्दर रचना।
ReplyDeleteजी आ0 हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजी आत्मिक आभार
Deleteगंगा नदी की महिमा बताती सुन्दर सारगर्भित कृति..
ReplyDeleteजी आत्मिक आभार
Deleteसारगर्भित सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर।
जी आत्मिक आभार
Deleteरचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
ReplyDeleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteजी आ0 हार्दिक आभार
Deleteप्रमुख नदी तो यमुना है ! गंगा तो देवी है, माँ है
ReplyDeleteजी सत्य कहा
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteउल्लाला छंद में गंगा पर बहुत सुंदर सृजन सखी मंत्र मुग्ध कर गया।
ReplyDeleteवाह!