क्रिकेट
कार्य कठिन होता नहीं,मन में जब लें ठान।
बिरलों के संकल्प से,बढ़ा देश का मान।।
खेल रहे थे आँकड़े,हम थे अनुभव हीन।
शीश गर्व से उठ गए, देखे खेल प्रवीन।।
खोदें मरुथल में कुआँ, चेतेश्वर गिल पंत।
रचा गया इतिहास जब,होता हर्ष अनंत।।
अनहोनी होनी हुई , साहस अदम्य देख।
चोट दिलाती जीत जब,सुंदर बनती रेख।।
खेल रहाणे खेलते,जब था लक्ष्य विराट।
भौचक थी फिर गेंद भी,मिला धोबिया पाट।।
है कंगारू पस्त अब,टूटा दर्प गुरूर।
नशा जीत का बोलता,छाया रहा सुरूर।।
अनिता सुधीर
उत्तम दोहे।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर
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