Thursday, February 4, 2021

धुंध


धुंध

उष्णता की कमी
अवशोषित कर नमी
रगों में सिहरन का 
एहसास दिलाये
दृश्यता का ह्रास कराए।
सफर को कठिन बना
ये धुंध चहुँ दिशा फैलती जाती है
संयम से सजग हो
निकट धुंध के  जाओ..
 और भीतर तक जाओ
धुंध ने सूरज नहीं निगला है
 सूरज की उष्णता निगल 
लेगी धुंध को ।
सामाजिक  राजनीतिक
परिदृश्य भी 
त्रास से
धुंधलाता जा रहा 
रिश्तों की धरातल पर
स्वार्थ का कोहरा छा रहा
संबंधों की कम हो रही उष्णता
अविश्वास द्वेष की बढ़ रही आद्रता
कड़वाहट बन सिहरन दे रही ।
विश्वास ,प्रेम की  किरणें 
लिए अंदर जाते  जाओ
दूर से देखने पर 
सब धुंधला है
पास आते जाओगे 
दृश्यता  बढ़ती जायेगी
तस्वीर साफ नजर आएगी।


अनिता सुधीर 

3 comments:

  1. विश्वास ,प्रेम की किरणें
    लिए अंदर जाते जाओ
    दूर से देखने पर
    सब धुंधला है
    पास आते जाओगे
    दृश्यता बढ़ती जायेगी
    तस्वीर साफ नजर आएगी।
    बिलकुल सही कहा है आपने। रिश्तों व मानसिकताओं पर जमी धुंध को हटाना ही समस्त समस्याओं का निराकरण है।
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया

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