रंग चुरा लूँ धूप से,संग नीर की बूँद।
इंद्रधनुष हो द्वार पर,देखूँ आँखे मूँद।।
तम के बादल छट रहे,दुख की बीती रात।
इंद्रधनुष के रंग ले,सुख की हो बरसात।।
रंगों के इस मेल में,छुपा सुखद संदेश।
इंद्रधनुष बन एक हों,उत्तम फिर परिवेश।।
सात रंग के अर्थ में,कितने सुंदर कथ्य।
धरा गगन जल सूर्य के,लिए हुए हैं तथ्य।।
अनिता सुधीर आख्या
रंग चुरा लूँ धूप से,संग नीर की बूँद।
ReplyDeleteइंद्रधनुष हो द्वार पर,देखूँ आँखे मूँद।।
....बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ। बहुत-बहुत बधाई आदरणीया अनीता जी।
हार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआ0 हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक दोहे।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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