Tuesday, April 20, 2021

त्राहिमाम

नवगीत

गलबहियां जो कर रहे
करते वही विरोध

दूजे सर पर ठीकरा
फोड़ रहें हैं लोग
सिसक रहा कर्तव्य भी
खाकर छप्पन भोग
देख विवश है फिर जगत
बुद्धि धरे कब बोध।।

खेल खिलाड़ी खेलते 
मतपत्रों की भीड़
पाप बढ़ा कर कुंभ भी
छीने दूजे नीड़
औषधि अब मजबूर है
ढूँढ़ रहीं वो शोध।।

तांडव करती मौत जब
रुदन हुआ अब मौन 
बिलख रहे परिवार फिर
काँधा देगा कौन
पुष्प हृदय चीत्कारता
शूल बना ये क्रोध।।

अनिता सुधीर आख्या
















6 comments:

  1. बेहतरीन रचना सखी।

    ReplyDelete
  2. समसामयिक रचना ... सब जानते बुझाते लापरवाही करने से बाज़ नहीं आ रहे लोग .

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर।
    --
    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    मित्रों पिछले तीन दिनों से मेरी तबियत ठीक नहीं है।
    खुुद को कमरे में कैद कर रखा है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. क्या हो गया आ0
      आप शीघ्र ही स्वस्थ हों

      Delete

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

 राम नवमी की  हार्दिक शुभकामनाएं दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार। आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।। बसी राम की उर में मूरत  मन अम्बर कुछ ड...