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चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,है हिन्दू नववर्ष।
नव संवत प्रारंभ है ,हो जीवन में हर्ष ।।
संवत 'राक्षस' वर्ष में ,'मंगल' हैं भूपाल,
मंगल ही मंत्री बने, करें जगत उत्कर्ष ।।
***
गुड़ी ,उगाड़ी पर्व अरु,भगवन झूले लाल।
नौ दिन का उत्सव रहे ,नव संवत के साल।।
रचे विधाता सृष्टि ये ,प्रथम विष्णु अवतार ,
अठहत्तर नव वर्ष में ,उन्नत हो अब काल।।
***
नौरातों में प्रार्थना ,माँ आओ उर धाम ।
करे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
कृपा करो वरदायिनी,पूरे मङ्गल काम ।।
***
धर्म ,कर्म उपवास से ,बढ़ता मन विश्वास।
अन्तर्मन की शुद्धता ,जीवन में उल्लास।।
पूजें अब गणगौर को ,मांगे अमर सुहाग,
छोड़ जगत की वेदना,रखिये मन में आस।।
**
कली ,पुष्प अरु मंजरी,से सुरभित संसार ।
कोयल कूके बाग में ,बहती मुग्ध बयार ।।
पके अन्न हैं खेत में ,छाये नव उत्साह ,
मधुर रागिनी छेड़ के,धरा करे श्रृंगार ।।
अनिता सुधीर आख्या
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआ0 रचना के स्थान देने के लिये हार्दिक आभार
ReplyDeleteजी सादर आभार
ReplyDeleteveerusa.blogspot.com
ReplyDeleteशुंभभावना मांगलिकता से सिंचित सांस्कृतिक पार्विक आलोड़न करती छंदबद्ध रचना है अनिता सुधीर आख्या की ,पूरा आख्यान है तीज त्यौहार कथा है यहां परम्परा और संस्कृति के मूल तत्व हैं यहां तग्य हैं कवित्री
संवत 2078
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चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,है हिन्दू नववर्ष।
नव संवत प्रारंभ है ,हो जीवन में हर्ष ।।
संवत 'राक्षस' वर्ष में ,'मंगल' हैं भूपाल,
मंगल ही मंत्री बने, करें जगत उत्कर्ष ।।
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गुड़ी ,उगाड़ी पर्व अरु,भगवन झूले लाल।
नौ दिन का उत्सव रहे ,नव संवत के साल।।
रचे विधाता सृष्टि ये ,प्रथम विष्णु अवतार ,
अठहत्तर नव वर्ष में ,उन्नत हो अब काल।।
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नौरातों में प्रार्थना ,माँ आओ उर धाम ।
करे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
कृपा करो वरदायिनी,पूरे मङ्गल काम ।।
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धर्म ,कर्म उपवास से ,बढ़ता मन विश्वास।
अन्तर्मन की शुद्धता ,जीवन में उल्लास।।
पूजें अब गणगौर को ,मांगे अमर सुहाग,
छोड़ जगत की वेदना,रखिये मन में आस।।
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कली ,पुष्प अरु मंजरी,से सुरभित संसार ।
कोयल कूके बाग में ,बहती मुग्ध बयार ।।
पके अन्न हैं खेत में ,छाये नव उत्साह ,
मधुर रागिनी छेड़ के,धरा करे श्रृंगार ।।
अनिता सुधीर आख्या
हार्दिक आभार आ0
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteमातारानी और भारत की संस्कृति को समर्पित बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया अनीता जी। हमारी प्रार्थना मातारानी तक पहुँचे और जनजीवन समान्य हो जाये यही कामना करती हूँ। आपको भी नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteबहुत बहुत सुंदर सखी आपकी लेखनी अद्भुत है।
ReplyDeleteनववर्ष एंव चैत्रीय नवरात्रि पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं।
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
ReplyDeleteनौरातों में प्रार्थना ,माँ आओ उर धाम ।
ReplyDeleteकरे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
कृपा करो वरदायिनी,पूरे मङ्गल काम ।।
सुन्दर लेखन . गहरे भाव
हार्दिक आभार आ0
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