Saturday, July 23, 2022

बाल गंगाधर तिलक


 

बाल गंगाधर तिलक जयंती विशेष

(23 जुलाई1856 - 1 अगस्त 1920)


लोक प्रचलित नारा,

मुक्ति जन्मों का अधिकार। 

बाल गंगाधर जी,

लिख गए गीता का सार।।


तेईस जुलाई धन्य रही,गाती गंगाधर गुणगान।

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में,करने आए जब उत्थान।।


जन्म सिद्ध अधिकार रहा जो,उससे वंचित रहा समाज। 

लोकमान्य उपनाम मिला जो,चाह रहे थे बाल सुराज।। 


दक्कन शिक्षा समिति बनी थी,अंग्रेजी का घोर विरोध।

 देवनागरी मान्य रहे अब,यही कराते सबको बोध।।


जगा रहे थे जनमानस को,दिए क्रांति का नव संदेश। 

सार लिखे फिर गीता का वह,नित्य सुधार रहे परिवेश।।


पत्र केसरी आवाज बना,देश स्वतंत्र चला अभियान।

भारत के संरक्षक निर्माता,उनके अद्भुत कार्य महान।।




3 comments:

  1. संक्षिप्त किन्तु अतीव प्रशंसनीय कविता। राष्ट्र की महान विभूति को अनुपम श्रद्धांजलि।

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