Saturday, July 30, 2022

क्षणिकाएं


१)


शरद पूर्णिमा की रात में

अमृत बरसता रहा ,

मानसिक प्रवृतियों के द्वंद में 

कुविचारों के हाथ 

लग गया अमृत ...

अब वो अमर होती जा रहीं हैं...


२)


दौलत की भूख़ ने 

आँखो पर बाँधी पट्टी

ईमान को बेच 

मुल्क के अस्मिता 

की बोली लगा

भूख ,करोड़ों अरबों की लगाई 

क्या तनिक भी इन्हे लाज न आई

३)


पूजास्थलों मे दौलत 

का अंबार लगा 

भिखारी बाहर 

भूख और ठंड से

बेहाल नजर आए,

ऐ !प्रभु के बंदे 

तू अब तक दौलत का 

सही उपयोग न सीख पाये ।



अनिता सुधीर आख्या


11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 01 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. क्षणिकाओं के माध्यम से विसंगतियों को दर्शाया गया है । बहुत खूब म

    ReplyDelete
  3. यही विरोधाभास जीवन को जटिल बनाता है

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर सराहनीय सृजन

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर क्षणिकाएं

    ReplyDelete

विज्ञान

बस ऐसे ही बैठे बैठे   एक  गीत  विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...