Thursday, August 20, 2020

प्रार्थना

दोहा छन्द

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सब धर्मों  में प्रार्थना,भक्त ईश संवाद।

अन्तर्मन की शुद्धि से,गूँजे अंतर्नाद।।


एक रूप हो ईश से,करें प्रार्थना मौन।

ऊर्जा का संचार ये,अनुभव करता कौन?


लोभ अहम का नाश कर,करता दूर विकार।

सम्बल देती प्रार्थना,शुद्ध रखे आचार।।


उचित कर्म मानव करे,उचित करे व्यवहार।

करें प्रार्थना ईश से,सुखमय हो संसार।।


सामूहिक हो प्रार्थना,करिये यही प्रयास।

मनुज मनुज को जोड़ कर,सदा मिटाती त्रास।।


शुद्ध भाव में प्रार्थना,करें नहीं व्यापार।

श्रद्धा अरु विश्वास ही,रहा सदा आधार।।


अनिता सुधीर

लखनऊ

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