Sunday, August 9, 2020

हलषष्ठी

 चौपाई

भाद्र मास की षष्ठी आयी

       हलछठ व्रत सुंदर फलदायी।।

जन्म दिवस दाऊ का मनता।

        पोखर घर के आँगन बनता ।।

शस्त्र अस्त्र हल दाऊ सोहे ।

        हलधर की मूरत मन मोहे।।

पुत्रवती महिलाएं पूजें।

        मन अँगना किलकारी गूँजे।।

पूजन पलाश झड़बेरी का।

          भोग लगा महुवा नारी का ।।

जोता बोया आज न खाए

         तिन्नी चावल दधि सँग भाए।।

दीर्घ आयु संतति की करना।

         आशीषों से झोली भरना ।।

वृक्ष पूजना पाठ पढ़ाता ।

          संस्कृति का यह मान बढ़ाता।।


अनिता सुधीर आख्या


©anita_sudhir

No comments:

Post a Comment

विज्ञान

बस ऐसे ही बैठे बैठे   एक  गीत  विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...