तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क
Sunday, December 24, 2023
Saturday, December 16, 2023
गीतिका
सरसी छन्द आधारित गीतिका
एक डाल के सब पंछी हैं,सबमें है कुछ खास।
किसी कमी पर कभी किसी का,मत करिए उपहास।।
डर-डर के जीवन क्या जीना,खोने पर क्यों कष्ट।
डरे नहीं बाधाओं से जो,वही रचे इतिहास ।।
सुख-दुख तो आना जाना है,ये जीवन का चक्र
कुछ दिन जो अब शेष बचे हैं,मन में भरें उजास।।
जो होना वो होकर रहता,विधि का यही विधान
किसके टाले कब टलता यह,राम गये बनवास।।
दया धर्म में तन अर्पण कर,रखिए शुद्ध विचार
सतकर्मों से मिट पायेगा,इस धरती का त्रास।।
अनिता सुधीर आख्या
Thursday, November 30, 2023
जीवन साँझ
Monday, November 27, 2023
देव दीपावली
Wednesday, November 15, 2023
चित्रगुप्त महाराज की जय
Monday, November 13, 2023
जगमग दीप जलाएँ
Saturday, October 21, 2023
पाखंड
पाखंड
नवगीत
मीन छल से जब निगलते
ढोंग हँसता खिलखिलाकर
वस्त्र उजले श्याम मन के
दीप बाती कर रहे हैं
दाग को मैला करे अब
हुंडियाँ वो भर रहे हैं
धर्म में फिर धन घुसा जो
मर्म भागा चिड़चिड़ाकर।।
ढोंग..
जब हवा ले साथ चलती
बात ये पगडंडियों की
तर्क का सूरज डुबाते
जीत फिर पाखंडियों की
धर्म का ये डर दिखाते
पाप की घंटी बजाकर।।
ढोंग..
भक्त बगुले लीन तप में
श्राद्ध पूजे नीतियों को
मंदिरों में इष्ट बेबस
देख जग की रीतियों को
श्वेत बगुला हँस रहा है
हंस रोता तिलमिला कर।।
ढोंग..
अनिता सुधीर आख्या
Sunday, October 15, 2023
माँ शैलपुत्री की आराधना
Sunday, October 8, 2023
गीतिका
आल्हा छन्द आधारित गीतिका
विषय निरर्थक बोल रहे जो,उनको मन से सुनता कौन।
सदा बोलना सोच समझ कर,ऐसी वाणी चुनता कौन।।
आलोचक बन राह दिखाए,या बोले जो मीठे बोल
संबंधों में सगा कौन है,समझ सत्य की गुनता कौन।।
नियमों की नित धज्जी उड़ती,चौराहों पर हुक्का बार।
युवा बहकते मयखानों में,इन पर अब सिर धुनता कौन।।
क्षणिक खुशी पाने को जब भी,पथ अपनाते हैं आसान
दूर खड़ी मंजिल फिर कहती,स्वप्न हमारे बुनता कौन।।
सिद्ध करें सार्थकता अपनी,सह कर नित जीवन का ताप
भड़भूजे की भाड़ सिखाती,बिना अग्नि के भुनता कौन।।
अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ
Thursday, September 28, 2023
चुभन
Tuesday, September 19, 2023
Friday, September 15, 2023
बस यूँ ही
अतुकांत
कहीं की ईंट,कहीं का रोड़ा
भानुमति ने कुनबा जोड़ा
सबके हाथ पाँव फूले हैं,
दोस्ती में आँखे फेरे हैं।
जो फूटी आँख नहीं सुहाते
वो अब आँखों के तारें हैं।
कब कौन किस पर आँख दिखाये
कब कौन कहाँ से नौ दो ग्यारह हो जाए
विपत्तियों का पहाड़ है
गरीबी मे आटा गीला हो जाए।
बंदरबांट चल रही
अंधे के हाथ बटेर लगी
पुराने गिले शिकवे भूले हैं
उलूक सीधे कर रहे
उधेड़बुन में पड़े
उल्टी गंगा बहा रहे
जो एक आँख भाते नहीं
वो एक एक ग्यारह हो रहे
कौन किसको ऊँगली पर नचायेगा
कौन एक लाठी से हाँक पायेगा
ढाई दिन की बादशाहत है
टाएँ टाएँ फिस्स मत होना ।
दाई से पेट क्या छिपाना
बस पुराना इतिहास मत दोहराना।
अनिता सुधीर
Thursday, September 14, 2023
वृंदावन
Thursday, September 7, 2023
कृष्ण
Wednesday, September 6, 2023
जीवन साँझ
गीत
दबे पाँव जब संझा आयी
प्रेम सरित अब बहने दो ।
उथल पुथल थी जीवन नैया
नैन डगर तुम रहने दो ।।
कांच नुकीले कंकड़ कितने
रक्त बहाए तन मन से,
पटी पड़ी है नयन कोटरें
उजड़े उन रिक्त सपन से,
बोल मौन हो नयन बोलते
परिभाषा नित कहने दो ।
नैन ...
धागे उलझे हृदय पटल पर
एक छुअन सुलझाती है,
नर्तन करती चाँद चाँदनी
जब भी तू मुस्काती है,
मुक्त क्षणों की धवल पंक्तियां
जीवन को ये गहने दो ।
नैन ..
नीड़ भरा था तब मेले से
आज अकेले दो प्राणी
पल-पल को अब मेला कर लें
रखें ताक पर कटु वाणी
अटल सत्य के अंतिम क्षण में
संग हार हम पहने दो ।
नैन..
अनिता सुधीर आख्या
चित्र - गूगल से साभार।
Wednesday, August 30, 2023
रक्षाबंधन
Wednesday, August 23, 2023
संत तुलसी जयंती
Tuesday, August 22, 2023
वरिष्ठ नागरिक
Wednesday, August 16, 2023
धन
**
तृप्ति क्षुधा धन से कब हो,धनवान करोड़ डकार रहे।
लोभ बढ़ाकर पाप करें, कितना वह पैर पसार रहे।।
जीवन में अँधियार भरे, कुल का नित मान उतार रहे।
भूल गए असली धन को, कब सत्य प्रताप विचार रहे?
अनिता सुधीर आख्या
Tuesday, August 15, 2023
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
गीत
***
माटी मेरे देश की,है मेरा अभिमान।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
स्वर्ण मुकुट हिमगिरि सजे,सागर पैर पखार।
मानचित्र अभिमान को,व्याघ्र सरिस व्यवहार।
संविधान इस देश का ,देता सम अधिकार ।
देश एक, ध्वज एक हो,मौलिकता हो सार ।।
संस्कृति उत्तम देश की,इस पर हैअभिमान।।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
सर्व धर्म सद्भाव हो ,करिये यही विचार।
भारत के निर्माण में ,रहे एकता सार ।।
मातृभूमि रज भाल पर ,वंदन बारम्बार,
लिये तिरंगा हाथ में,करते जय जयकार।
जयभारत जयहिंद का,सब मिल करिये गान ,
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
श्वेत शांति अरु केसरी,बलिदानी का रूप।
रंग हरा संपन्नता,भारतवासी भूप।।
रखिये इसको ध्यान में,खादी वस्त्र विचार।
देशी को अपनाइये,शुद्ध रहे आचार।।
स्वच्छता अभियान हो ,जन जन की पहचान ।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
देशप्रेम कर्तव्य हो ,देशभक्ति ही नेह।
पंचतत्व में लीन हों,ओढ़ तिरंगा देह।।
अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत ।
देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।।
मातृभूमि अभिमान है,अमर तिरंगा शान ।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
अनिता सुधीर आख्या
Monday, August 14, 2023
विभाजन
Friday, August 11, 2023
Sunday, August 6, 2023
मित्रता दिवस की शुभकामनाएं
Saturday, August 5, 2023
ग़ज़ल
एक प्रयास
कब सफर पूरा हुआ है ज़िंदगी का हार कर ।
मंजिलों की शर्त है बस मुश्किलों को पार कर।।
साथ मिलता जब गमों का वो मज़ा कुछ और है
कर सुगम अब राह उनसे हाथ तो दो चार कर ।।
मुश्किलों के दौर में बस हार कर मत बैठना
आसमां को नाप लेंगे आज ये इकरार कर ।।
वक़्त की इन आँधियों में क्या बिखरना है सही
दीप जलता ही रहेगा तू हवा पर वार कर।।
आशियाने आरजू के ही वहीं पर टूटते ।
हर किसी पर बेवजह ही क्यों सदा एतबार कर।।
ख्वाहिशों के आसमां में अब सितारे टाँक दे
ओढ़ चूनर चाँदनी की जिंदगी उजियार कर ।।
अनिता सुधीर आख्या
Monday, July 31, 2023
उधम सिंह
Friday, July 28, 2023
मुक्तक
**
अब हृदय की इस कलुषता को मिटाने के लिए।
प्रीति का नव गीत रच दो आज गाने के लिए।।
दौड़ने में वक़्त गुजरा,चाह अब विश्राम की
दो घड़ी का साथ हो सुख चैन पाने के लिए।।
अनिता सुधीर आख्या
Thursday, July 27, 2023
मातु शक्ति
Wednesday, July 26, 2023
विजय दिवस
दोहे
विजय दिवस की शुभकामनाएं
वीर सपूतों को करें,शत-शत बार प्रणाम ।
प्राणों के उत्सर्ग से, किया देश का नाम ।।
अद्भुत गाथा लिख गये ,ऊँचे पर्वत द्रास ।
कठिनाई से कब डरे, ले ली अंतिम साँस।।
जिनके वीर सपूत ये,धन्य मातु अरु तात।
नाम अमर इतिहास में,जब अरि को दी मात।।
ऋणी शहीदों के सभी, रक्षा का लें भार।
व्यर्थ नहीं बलिदान हो, लेते शपथ हजार ।।
वीरों के बलिदान से, नतमस्तक हैं आज।
उनके ही सम्मान में ,करें नया आगाज।।
अनिता सुधीर आख्या
Monday, July 24, 2023
जल जीवन
चित्र गूगल से
जल प्रबंधन
प्यासी मौतें डेरा डाले
पीड़ा नीर प्रबंधन की
सूरज छत पर चढ़ कर नाचे
जनजीवन कुढ़-कुढ़ मरता
ताप चढ़ा कर तरुवर सोचे
किस की करनी को भरता
ताल-नदी का वक्ष सूखता
आशा पय संवर्धन की।।
कानाफूसी करती सड़कें
चौराहे का नल सूखा
चूल्हा देखे खाली बर्तन
कच्चा चावल है भूखा
माँग रही है विधिवत रोटी
भूख बिलखती निर्धन की।।
बूँद टपकती नित ही तरसे
कैसे जीवन भर जाऊँ
नारे भाषण बाजी से अब
कैसे मन को बहलाऊँ
बाढ़ खड़ी हो दुखियारी बन
जन सोचे अवरोधन की।।
अनिता सुधीर
Sunday, July 23, 2023
एकाकीपन
नवगीत
एकाकीपन
घर पीछे बड़बेर
सुना बेरों से बतियाती।।
अलसायी सी रात
व्यथित हो चौखट पर बैठी
पोपल मुख निस्तेज
करे यादों में घुसपैठी
काँप उठी फिर श्वास
तभी बंधन को बहलाती।।
पतझड़ का आतिथ्य
कराता शूलों को पीड़ा
जीवन त्यागे राग
उदासे सुर भूले क्रीड़ा
ओसारे की खाट
व्यर्थ में ही शोर मचाती।।
दीवारों के हास्य
नयन क्रंदन के घेरे में
बौना हो अस्तित्व
फँसा जीवन के फेरे में
एकाकी की पीर
सदा भावों को सहलाती।।
अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ
Saturday, July 22, 2023
दहेज निषेध
दहेज कानून -अनुचित लाभ
काल चले जब वक्र चाल में
बिना बिके दूल्हा डरता
सात वर्ष ने दाँव चला अब
घर की हँड़िया कहाँ बिके
धन की थैली प्रश्न पूछती
छल प्रपंच में कौन टिके
अदालतों से वधू पक्ष फिर
खेत दूसरों के चरता।।
चिंता लाड़ जताती सबसे
नाच रही घर के अँगना
सास ननद अब सहमी सोचें
बचा रहे चूड़ी कँगना
पुरुष घरों के छुपे खड़े हैं
उदर व्यंग्य से नित भरता।।
कोर्ट-कचहरी के नियमों को
घूँघट से दहेज पढ़ता
अपने दोष छिपाकर सारे
वर की पगड़ी पर मढ़ता
तारीखों में सबको फाँसे
तहस-नहस जीवन करता।।
अनिता सुधीर आख्या
Friday, July 21, 2023
प्रेम
Thursday, July 20, 2023
महंगाई
नवगीत
*महँगाई*
देख बढ़ी महँगाई
श्वास उधारी में फँसती
सपने महँगे होते
जब घर में आटा गीला
कैसे चने भुनाएँ
जब चूल्हा जलता सीला
भार झोपड़ी सहकर
फिर गड्ढों में जा धँसती।
देख बढ़ी महँगाई
श्वास उधारी में फँसती।।
थैले भर रुपयों में
मुट्ठी भर सब्जी आती
लाल टमाटर हुलसे
जब थाली सूखी खाती
पेट पीठ अब चिपके
दाने को भूख तरसती।
देख बढ़ी महँगाई
श्वास उधारी में फँसती।।
नया कलेवर पहने
नित छज्जे चढ़ती जाती
ताक धिना-धिन करके
नए-नए नृत्य दिखाती
बढ़ा जेब पर बोझा
दिल्ली निर्धन पर हँसती।
देख बढ़ी महँगाई
श्वास उधारी में फँसती।।
अनिता सुधीर आख्या
Wednesday, July 19, 2023
एकता
चित्र गूगल से साभार
कुंडलियां
सपना कुर्सी का लिए,चलें विपक्षी चाल।
बैठक में मतभेद रख,रँगते अपनी खाल।।
रँगते अपनी खाल,लिए भारत का ठेका।
पाने मोटा माल,दिखाते फिर से एका।।
देता विगत प्रमाण,कहाँ कब कोई अपना।
खिँचती है जब टाँग,टूटता प्यारा सपना।।
अनिता सुधीर आख्या
Monday, July 17, 2023
विपदा
Thursday, July 13, 2023
आधुनिकता
Saturday, July 8, 2023
बरसात
Friday, July 7, 2023
याचना
Tuesday, June 20, 2023
नई शिक्षा नीति
Friday, June 16, 2023
तन पिंजर
Tuesday, June 13, 2023
न्याय
Friday, June 9, 2023
गीतिका
Friday, May 5, 2023
वैरागी
Tuesday, April 4, 2023
महावीर जयंती
Tuesday, March 28, 2023
विश्व रंगमंच दिवस
Tuesday, March 21, 2023
विश्व कविता दिवस
Saturday, March 18, 2023
मुक्तक
Saturday, March 11, 2023
महिलाओं के अधिकार
Friday, March 10, 2023
नारी
नारी
ये मूक खामोश औरतें
ख्वाहिशों का बोझ ढोते-ढोते
सदियों से वर्जनाओं में जकड़ी
परम्पराओं और रुढियों
की बेड़ियों मे बंधी
नित नए इम्तिहान से गुजरती
हर पल कसौटियों पर परखी जाती ..
पुरुषों के हाथ का खिलौना बन
बड़े प्यार से अपनों से ही छली जाती ..
बिना अपने पैरों पर खड़े
बिना रीढ़ की हड्डी के,
ये अपने पंख पसारती ..
कंधे से कंधा मिला कर चलती
सभी जिम्मेदारियाँ निभाती
खामोशी से सब सह जाती
आसमान से तारे तोड़ लाने
की हिम्मत रखती है
तभी नारी वीरांगना कहलाती है ।
ये क्या एक दिन की मोहताज है..
नारी !गलती तो तुम्हारी है
बराबरी का अधिकार माँग
स्वयं को तुम क्यों कम आँकती ..
तुम पुरुष से श्रेष्ठ हो
बाहुबल मे कम हो भले
बुद्धि ,कौशल ,सहनशीलता
में श्रेष्ठ हो तुम
अद्भुत अनंत विस्तार है तुम्हारा
पुष्प सी कोमल हो
चट्टान सी कठोर हो
माँ की लोरी ,त्याग ममता में हो
बहन के प्यार में हो
पायल की झंकार में हो
बेटी के मनुहार में हो ..
नारी !नर तुमसे है
सृजनकारी हो तुम
अनुपम कृति हो तुम..
आत्मविश्वास से भरी
अविरल निर्मल हो तुम ..
चंचल चपला मंगलदायिनी हो तुम
नारी !वीरांगना हो तुम।
अनिता सुधीर आख्या
Saturday, February 18, 2023
शिवरात्रि
महापर्व शिवरात्रि की अनंत शुभकामनाएं
महापर्व शिवरात्रि में,मिलन शक्ति-अध्यात्म का।
कृष्ण चतुर्दश फाल्गुनी, प्रकृति-पुरुष एकात्म का।।
पंच तत्त्व का संतुलन,यह शिवत्व आधार है।
वैरागी को साधना, ही जीवन का सार है।।
प्रकटोसव शिवरात्रि में, ऊर्जा का संचार है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग में, निराकार साकार है।।
शिव गौरा के ब्याह की, आज मनोरम रात में।
आराधन में लीन हो, भीगें भक्ति-प्रपात में।।
सृष्टि रचयिता रुद्र का, तीन लोक अधिपत्य है।
महाकाल हैं काल के, शिवं सुंदरं सत्य है।।
औगढ़ योगीराज का, आदि अंत अज्ञात है।
तांडव नृत्य त्रिनेत्र का, सकल अर्थ विख्यात है।।
आत्मजागरण पर्व की, महिमा अपरंपार है।
नीलकंठ के अर्थ में, जगत श्रेष्ठ व्यवहार है।।
शंकर-गौरा साथ में, और भाव वैराग्य भी।
गुण विरोध में संतुलन, यही मनुज सौभाग्य भी।।
नाड़ी तीन प्रतीक हैं, शंकर हस्त त्रिशूल के।
दैहिक भौतिक ताप हर, निष्कंटक जग मूल में।।
राख चिता की गात जो,भस्म जीव का साथ है।
भाव शुद्धता का लिए, बाबा भोलेनाथ हैं।।
बिल्वपत्र अक्षत चढ़ा,करिए व्रत उपवास सब।
कैलाशी को पूज कर, जीवन करें प्रभास सब।।
अनिता सुधीर आख्या