Saturday, December 16, 2023

गीतिका

 सरसी छन्द आधारित गीतिका


एक डाल के सब पंछी हैं,सबमें है कुछ खास।

किसी कमी पर कभी किसी का,मत करिए उपहास।।


डर-डर के जीवन क्या जीना,खोने पर क्यों कष्ट।

डरे नहीं बाधाओं से जो,वही रचे इतिहास ।।


सुख-दुख तो आना जाना है,ये जीवन का चक्र

कुछ दिन जो अब शेष बचे हैं,मन में भरें उजास।।


जो होना वो होकर रहता,विधि का यही विधान

किसके टाले कब टलता यह,राम गये बनवास।।


दया धर्म में तन अर्पण कर,रखिए शुद्ध विचार

सतकर्मों से मिट पायेगा,इस धरती का त्रास।।


अनिता सुधीर आख्या

Thursday, November 30, 2023

जीवन साँझ

गीत

झरते पातों का अब जीवन
तनिक बैठ कर सुस्ता ले
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।


मृगतृष्णा की चाह लगी थी
कितने कूएँ खोद लिये ,
रिसते पिसते घावों को सह
अनगिन दुख को गोद लिये
भंवर जाल में डूबे उतरे
सर्प बहुत डसते काले।।
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।।

नवल वसन की आस करे अब
क्लांत शिथिल जर्जर काया।
यादों की झोली में रक्खा ,
सुर्ख पंखुड़ी की माया।
लगा हुआ था मेला जग का
स्मृतियों को कहां छिपा ले
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।।

एक अकेला साथी मनवा
बँधा हुआ परिपाटी से
टूट शाख से अलग पड़ा अब
मिलना होगा माटी से,
स्याह रात के टिम टिम जुगनू
चाहें पतझड़ पर ताले
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।।

अनिता सुधीर

Monday, November 27, 2023

देव दीपावली

 



कार्तिक पूर्णिमा
कुंडलिया
**
महिमा कार्तिक मास की,गाते वेद पुराण।
मंगलकारी पूर्णिमा,करे जगत कल्याण।।
करे जगत कल्याण,करें तुलसी की पूजा।
करिये जप तप दान,नहीं उत्तम कुछ दूजा।।
देव दिवाली पर्व,दीप की होती गरिमा।
करिये गंगा स्नान,विष्णु की गाएँ महिमा।।

अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, November 15, 2023

चित्रगुप्त महाराज की जय

श्री चित्रगुप्त महाराज की जय
भाई दूज की शुभकामनाएं

पावन पर्व के उपलक्ष्य में मेरी कुछ पंक्तिया
**

करें कर्म का लेखा-जोखा,चित्रगुप्त भगवान।
लेखपाल की कलम चले जब,लिखे न्याय आख्यान।।
पाप-पुण्य का भान रहे नित,उत्तम रहें विचार
देव मुझे आशीष मिले यह,मिले कलम को मान।।

आज कलम दवात की पूजा,करते सब कायस्थ।
न्यायब्रह्म के वंशज हम सब,कृपा करें धर्मस्थ।।
बुद्धि दीजिए बुद्धि प्रदाता,मिले सभी को ज्ञान
अजर-अमर हों भाई मेरे, रहें सभी अब स्वस्थ।।

अनिता सुधीर आख्या

Monday, November 13, 2023

जगमग दीप जलाएँ

गीतिका

हृदय की कोठरी काली,तमस को नित मिटाना है।
किसी मजबूर के द्वारे,नया दीपक जलाना है।।

नहीं अपमान मूरत का,कहीं भी क्यों इन्हें रखना
विसर्जन रीति हो उत्तम,प्रभावी यह बनाना है।।

मृदा हो मूर्ति की ऐसी,घुले जो नित्य पानी में
सुरक्षित जैवमंडल हो,प्रदूषण से बचाना है।।

जले नित वर्तिका मन की,रहे आलोक हर पथ पर
तभी जगमग दिवाली नित,यही अब अर्थ पाना है।।

लला सिय साथ आये जो,सजी प्रभु राम की नगरी,
विराजें चेतना में अब,नियम शुचिदा निभाना है।।

कहें हर बार सब ये ही,निभाते कौन मन से कब
उचित ही आचरण रखिये,यही सच्चा खज़ाना है।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, October 21, 2023

पाखंड

 पाखंड



नवगीत


मीन छल से जब निगलते

ढोंग हँसता खिलखिलाकर


वस्त्र उजले श्याम मन के

दीप बाती कर रहे हैं

दाग को  मैला करे अब

हुंडियाँ वो भर रहे हैं

धर्म में फिर धन घुसा जो

मर्म भागा चिड़चिड़ाकर।।

ढोंग..


जब हवा ले साथ चलती

बात ये पगडंडियों की

तर्क का सूरज डुबाते

जीत फिर पाखंडियों की

धर्म का ये डर दिखाते

पाप की घंटी बजाकर।।

ढोंग..


भक्त बगुले लीन तप में 

श्राद्ध पूजे नीतियों को

मंदिरों में इष्ट बेबस

देख जग की रीतियों को

श्वेत बगुला हँस रहा है

हंस रोता तिलमिला कर।।

ढोंग..


अनिता सुधीर आख्या

Sunday, October 15, 2023

माँ शैलपुत्री की आराधना



पुष्पांजलि

शारदीय नवरात्र का,आज हुआ आरम्भ फिर।
जगजननी करिये कृपा,तभी मिटे उर दम्भ फिर।।

शक्ति रूप की साधना,शुभ फलदायक जानिए ।
दुर्गा नौ अवतार को,उन्नति का पथ मानिए।।

योग साधना चक्र की,मन हो मूलाधार में।
शंकर की अर्धांगिनी ,चेतन के संचार में।।

शैल पुत्री के रूप को,प्रथम दिवस में पूजते।
घटस्थापना देख के,मन मंदिर फिर गूँजते।।

पर्वत की बेटी धरे,अर्ध चंद्र को शीश पर।
कमल पुष्प त्रिशूल लिए,आओ नंदी बैल पर।।

कुमकुम चावल पुष्प से ,करें मातु आराधना।
पापनाशिनी पाप हर,भवबंधन से तारना ।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, October 8, 2023

गीतिका

 आल्हा छन्द आधारित गीतिका


विषय निरर्थक बोल रहे जो,उनको मन से सुनता कौन।

सदा बोलना सोच समझ कर,ऐसी वाणी चुनता कौन।।


आलोचक बन राह दिखाए,या बोले जो मीठे बोल

संबंधों में सगा कौन है,समझ सत्य की गुनता कौन।।


नियमों की नित धज्जी उड़ती,चौराहों पर हुक्का बार।

युवा बहकते मयखानों में,इन पर अब सिर धुनता कौन।।


क्षणिक खुशी पाने को जब भी,पथ अपनाते हैं आसान

दूर खड़ी मंजिल फिर कहती,स्वप्न हमारे बुनता कौन।।


सिद्ध करें सार्थकता अपनी,सह कर नित जीवन का ताप

भड़भूजे की भाड़ सिखाती,बिना अग्नि के भुनता कौन।।


अनिता सुधीर आख्या

लखनऊ


Thursday, September 28, 2023

चुभन

चुभन

उर में जब जब पीर उठी,कलम मिटाती रही तपन।
शब्दों ने आगाज किया,भाव दिखाते जब तड़पन।।
हृदय पृष्ठ ऐसे भीगा,फिर भी मन उपवन सूखा
कोई कब यह पूछे है,क्या पृष्ठों को हुई चुभन?


अनिता सुधीर आख्या

Friday, September 15, 2023

बस यूँ ही


अतुकांत 


कहीं की ईंट,कहीं का रोड़ा

भानुमति ने कुनबा जोड़ा

सबके हाथ पाँव फूले हैं,

दोस्ती में आँखे फेरे हैं।

जो फूटी आँख नहीं सुहाते 

वो अब आँखों के तारें हैं।

कब कौन किस पर आँख दिखाये

कब कौन कहाँ से नौ दो ग्यारह हो जाए

विपत्तियों का पहाड़ है

 गरीबी मे आटा गीला हो जाए।

बंदरबांट चल रही 

अंधे के हाथ बटेर लगी 

पुराने गिले शिकवे भूले हैं 

उलूक सीधे कर रहे  

उधेड़बुन में पड़े

उल्टी गंगा बहा रहे

जो एक आँख भाते नहीं 

वो एक एक ग्यारह हो रहे

कौन किसको ऊँगली पर नचायेगा

कौन एक लाठी से हाँक पायेगा

ढाई दिन की बादशाहत है 

टाएँ टाएँ फिस्स मत होना ।

दाई से पेट क्या छिपाना 

बस पुराना इतिहास मत दोहराना।


अनिता सुधीर

Thursday, September 14, 2023

वृंदावन

वृंदावन
**
वृंदावन की गलियों में जब,अज्ञानी मानव आता है।
पावन भू की रज छूते ही,परम ज्ञान सब वह पाता है।।

ब्रज मंडल की लीला न्यारी,श्याम सखा नित रास रचाएँ।
कण-कण में वन उपवन में हम,परम पुरुष के दर्शन पाएँ
रोम-रोम रोमांचित होकर,अंतस में ध्यान लगाता है।।
पावन भू की....

यमुना लहरें अठखेली कर,बंसी के नित गीत सुनातीं
वृक्ष लताएँ आलिंगन में,निधिवन की शुभ प्रीति सुनातीं।।
उलझ गया मन मोहक छवि में,मोहन से कैसा नाता है
पावन भू की....

सत्य शाश्वत समय खड़ा है,वृंदावन में डेरा डाले।
श्याम बिहारी के दर्शन से,गूढ़ भेद जीवन का पा ले।।
दिव्य अलौकिक अनुभव पाकर,जन्म सफल यह हो जाता है।
पावन भू की....

अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार

Thursday, September 7, 2023

कृष्ण

कृष्ण कन्हैया

गीत

रास रचैया कृष्ण कन्हैया
छेड़ो मीठी तान।
बाँसुरिया की धुन को तरसे
जनमानस के प्रान।।

द्वेष रायता फैलाते सब
चौराहों पर आज 
मुख में मिश्री कर में छूरी
कैसा हुआ समाज
हृदय जलधि में खारापन है
नीर पिलाओ छान।
बाँसुरिया की धुन को तरसे
जनमानस के प्रान।

सात छिद्र की बजा बाँसुरी
कर दो  हिय अनुनाद 
अंतर्मन की गुहिका गाए 
फिर उसके ही बाद ।
प्रेम वेग की लहर उठा कर
करो धरा का त्राण
बाँसुरिया की धुन को तरसे
जनमानस के प्रान।

कुंज गली में कहाँ छिपे हो,
गोकुल के तुम श्याम,
बरसाने' की होली ढूँढे 
प्रेम राधिका नाम 
ग्वाल बाल माखन को तरसें 
करें गरल का पान
बाँसुरिया की धुन को तरसे
जनमानस के प्रान।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया
छेड़ो मीठी तान 
बाँसुरिया की धुन को तरसे
जनमानस के प्रान।


अनिता सुधीर आख्या

लखनऊ

Wednesday, September 6, 2023

जीवन साँझ


गीत

दबे पाँव जब संझा आयी

प्रेम सरित अब बहने दो ।

उथल पुथल थी जीवन नैया

नैन डगर तुम रहने दो ।।


कांच नुकीले कंकड़ कितने

रक्त बहाए तन मन से,

पटी पड़ी है नयन कोटरें 

उजड़े उन रिक्त सपन से,

बोल मौन हो नयन बोलते

परिभाषा नित कहने दो ।

नैन ...


धागे उलझे हृदय पटल पर

एक छुअन सुलझाती है,

नर्तन करती चाँद चाँदनी

जब भी तू मुस्काती है,

मुक्त क्षणों की धवल पंक्तियां

जीवन को ये गहने दो ।

नैन ..


नीड़ भरा था तब मेले से 

आज अकेले दो प्राणी

पल-पल को अब मेला कर लें

रखें ताक पर कटु वाणी

अटल सत्य के अंतिम क्षण में

संग हार हम पहने दो  ।

नैन..


अनिता सुधीर आख्या


चित्र - गूगल से साभार।



Wednesday, August 30, 2023

रक्षाबंधन


रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं

श्रावणी की दिव्यता से
खिल उठी सूनी कलाई।।

त्याग तप के सूत्र ने जब
इंद्र की रक्षा करी हो
या मुगल के शुभ वचन से
आस की झोली भरी हो
नेग मंगल कामना में
थी छिपी सबकी भलाई।।
श्रावणी...

रेशमी-सी प्रीति करती
आज ये व्यापार कैसा
बंधनों के मूल को अब
सींचता है नित्य पैसा
मर्म धागे का समझना
बात राखी ने चलाई।।
श्रावणी.…

हों सुरक्षित भ्रातृ अपने
प्रार्थना यह बाँध आएँ
सरहदों पर उन अकेले
भाइयों के कर सजाएँ
भारती का मान तुमसे
हर परिधि तुमने निभाई।।
श्रावणी...


अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार

Wednesday, August 23, 2023

संत तुलसी जयंती

संत तुलसीदास जयंती की शुभकामनाएं

सवैया

अति लोक लुभावन मानस है,प्रभु राम चरित्र रचे तुलसी।
वह घाट बनारस पावन है,गुणगान सचित्र रचे तुलसी।।
जब मार्ग दिखा हनुमान चले,शुभ ग्रंथ पवित्र रचे तुलसी।
पट द्वार खुले जब मंदिर के,हिय शंकर मित्र कहे तुलसी।।


तुलसी कृत पावन मानस में,जनमानस नायक राम लला।
अवतार लिए हरि विष्णु प्रभो,सरयू सुखदायक राम लला।।
रघुनंदन नाथ सियापति जी,रघुवंश सहायक राम लला।।
जगपालक कोटि प्रणाम तुम्हें,भव कष्ट विनाशक राम लला।।

अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, August 22, 2023

वरिष्ठ नागरिक


वरिष्ठ नागरिक


वरिष्ठता घर भीतर बैठी
सुने भित्ति की क्यों भनभन

खबरों में दिन अठखेली कर
जब लोरी सुनने आता
उथल-पुथल मन नींद चुरा कर
राग रात के दे जाता
खेद जताते गीतों के स्वर
बाँसुरिया से कुछ अनबन।।

अनुभव करता माथापच्ची
अपने सुख-दुख किससे बाँटे
सजा रहे थे फुलवारी जब
कहाँ गिने पग के काँटे
उम्र खड़ी सठियाई फिर भी
माली देता आलंबन।।

दुर्ग अभेद्य बुढ़ापे में भी
नींव अनागत की डाले
थका हुआ तन फिर से सोचे
सह लेंगे पग के छाले
शेष कर्म को पूर्ण करें अब
जीवन फिर से हो मधुबन।।

अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार


























Wednesday, August 16, 2023

धन


 "मदिरा सवैया" 


**


तृप्ति क्षुधा धन से कब हो,धनवान करोड़ डकार रहे।

लोभ बढ़ाकर पाप करें, कितना वह पैर पसार रहे।।

जीवन में अँधियार भरे, कुल का नित मान उतार रहे।

भूल गए असली धन को, कब सत्य प्रताप विचार रहे?


अनिता सुधीर आख्या

    



Tuesday, August 15, 2023

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं


गीत

***

माटी मेरे देश की,है मेरा अभिमान।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


स्वर्ण मुकुट हिमगिरि सजे,सागर पैर पखार।

मानचित्र अभिमान को,व्याघ्र सरिस व्यवहार।

संविधान इस देश का ,देता सम अधिकार ।

देश एक, ध्वज एक हो,मौलिकता हो सार ।।

संस्कृति उत्तम देश की,इस पर हैअभिमान।।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


सर्व धर्म सद्भाव हो ,करिये यही विचार।

भारत के निर्माण में ,रहे एकता सार ।।

मातृभूमि रज भाल पर ,वंदन बारम्बार,

लिये तिरंगा हाथ में,करते जय जयकार।

जयभारत जयहिंद का,सब मिल करिये गान ,

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


श्वेत शांति अरु केसरी,बलिदानी का रूप।

रंग हरा संपन्नता,भारतवासी भूप।।

रखिये इसको ध्यान में,खादी वस्त्र विचार।

देशी को अपनाइये,शुद्ध रहे आचार।।

स्वच्छता अभियान हो ,जन जन की पहचान ।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


देशप्रेम कर्तव्य हो ,देशभक्ति ही नेह।

पंचतत्व में लीन हों,ओढ़ तिरंगा देह।।

अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत ।

देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।।

मातृभूमि अभिमान है,अमर तिरंगा शान ।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


अनिता सुधीर आख्या


Monday, August 14, 2023

विभाजन

#विभाजन #विभीषिका

उप महाद्वीप का बँटवारा, बँटते जाते नदिया गाँव।
दर्द लिए चलती आजादी, ढूँढ़ रही थी फिर से ठाँव।।

बँटवारे में भाव बँटे थे, बार-बार रोया था धर्म।
मानवता भी शर्मसार थी, देखे जब दानव से कर्म।।

एक राष्ट्र का सपना देखा,उस पर हुआ कुठाराघात।
रक्त बहा था अपनों का ही,आया था फिर झंझावात।।

वर्षों का संघर्ष रहा था, देश हुआ था तब आजाद। 
और विभाजन बनी त्रासदी, कितने घर होते बर्बाद।। 

महिलाएँ बच्चे बूढ़े सब, विस्थापन का झेले दंश। 
नारी के तन से गुजरा था, सीमा रेखा का वह अंश।।

लाखों लोग हुए बेघर थे, उनका कौन करे भुगतान। 
रेडक्लिफ रेखा बँटवारा, कहाँ सफल था ये अभियान।।

धन दौलत के बंटवारे में,उपजे थे गहरे मतभेद।
भारत पर नित्य दबाव पड़े, जिसका अब भी मन में खेद।। 

युद्ध हुआ था दो देशों में, क्या यह था आजादी लक्ष्य।
लाखों जन भागे इधर उधर,अपनों के ही बनते भक्ष्य।। 

सरकार उपाय नहीं जाने, रोक सके हिंसा अपराध। नरसंहार हुआ  लाखों में, यात्रा कब थी फिर निर्बाध।।

हिंदू सिख को बाहर फेंका,ऐसा करता पाकिस्तान।
पर भारत के मुस्लिम जन को,नेता देते हिंदुस्तान।।

दो दिन देख तिरंगे को फिर,लौट चले थे पाकिस्तान।
कहाँ छोड़ना चाहा सबने,अपना प्यारा  हिंदुस्तान।।

गाड़ी पैदल हर साधन से, चलती थी तब भीड़ अपार।
भूखे नंगे भटके चलते, सह कर कितने अत्याचार।।

आज कलम भी रो पड़ती है,लिखे विभाजन का जब दर्द। 
ऐसी आजादी कब सोची, सपनों में लिपटी थी गर्द।।

अध्याय नया जो लिखा गया,अब अपना था भारत देश।
आजाद हवा में साँसे लेता,आजादी का नव परिवेश।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, August 6, 2023

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं


मित्रता दिवस की शुभकामनाएं
सभी मित्रों को समर्पित
**

शूल को पथ से हटाने का मजा कुछ और है।
पुष्प उस पथ में बिछाने का मजा कुछ और है।।

मित्रता के पृष्ठ में जुड़तीं रहीं नव पंक्तियां
याद करके खिलखलाने का मजा कुछ और है।

चार दिन की जिंदगी में रौनकें हैं आपसे
साथ में जीवन बिताने का मजा कुछ और है।।

दूर होकर भी हमेशा पास का एहसास है
आपसे मिलने मिलाने का  मजा कुछ और है।

आप मानें या न मानें बात लेकिन है सही
साथ में गप्पे लड़ाने का मजा कुछ और है।।

मस्तियों से दिन भरे बेफिक्र हो कर रात में
स्वप्न को झूला झुलाने का मजा कुछ और है।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, August 5, 2023

ग़ज़ल

 एक प्रयास


कब सफर पूरा हुआ है ज़िंदगी का हार कर ।

मंजिलों की शर्त है बस मुश्किलों को पार कर।।


साथ मिलता जब गमों का वो मज़ा कुछ और है

कर सुगम अब राह उनसे हाथ तो दो चार कर ।।


मुश्किलों के दौर में बस हार कर मत बैठना

आसमां को नाप लेंगे आज ये इकरार कर ।।


वक़्त की इन आँधियों में क्या बिखरना है सही

दीप जलता ही रहेगा तू  हवा पर वार कर।।


आशियाने आरजू के ही वहीं  पर  टूटते ।

हर किसी पर बेवजह ही क्यों सदा  एतबार कर।।


ख्वाहिशों के आसमां में अब सितारे टाँक दे

ओढ़ चूनर चाँदनी की जिंदगी उजियार कर ।।


अनिता सुधीर आख्या

Monday, July 31, 2023

उधम सिंह

वीर सपूत उधम सिंह की पुण्यतिथि पर शत शत नमन

संयोग से आज मैं अमृतसर जलियांवाला बाग  में ही हूँ और उस इतिहास से व्यथित हूँ
 
उधम सिंह
(26 दिसंबर 1899 - 31 जुलाई 1940)

क्रांति के वीरों में,
थे उधम पंजाबी शेर। 
कर्ज था माटी का,
फिर किए डायर को ढेर।।

राष्ट्रप्रेम की ज्वाला लेकर,इंकलाब का गाते गान। 
हर बच्चा जब उधम सिंह हो,होगा भारत देश महान।।

बेबस चीखें बैसाखी की,जलियांवाला का था घाव।
लहु के आँसू बहते देखें,उधमसिंह पर पड़ा प्रभाव।।

सात समुंदर पार चले थे,लेने माटी का प्रतिशोध।
ओ'डायर को मार गिराया,जिसने मारे कई अबोध।।

बीस बरस का बदला लेते,जो जलती सीने में आग।
अमर हुआ यह वीर सिपाही,देशभक्ति का गाकर राग।। 

गाँव सुनाम हुआ बड़भागी,उधम सिंह को करे प्रणाम।
मिले मृत्यु से हँसते-हँसते,वीरों को देकर पैगाम।।

अनिता सुधीर आख्या

Friday, July 28, 2023

मुक्तक



**


अब हृदय की इस कलुषता को मिटाने के लिए।

प्रीति का नव गीत रच दो आज गाने के लिए।।

दौड़ने में वक़्त गुजरा,चाह अब विश्राम की 

दो घड़ी का साथ हो सुख चैन पाने के लिए।।



अनिता सुधीर आख्या


Thursday, July 27, 2023

मातु शक्ति

आधार छंद माधव मालती
मात्रा- 28,(मापनी युक्त मात्रिक)
मापनी-गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा
समांत- आर, पदांत- हो तुम

प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी मातु शक्ति को नमन

गीतिका-

पायलों की रुनझुनों में,काल की टंकार हो तुम।
नीतियों की सत्यता में,चंद्र का आधार हो तुम।।

खो रहा अस्तित्व था जब, लुप्त होती भावना में,
आस का सूरज जगाए,भोर का उजियार हो तुम।।

जब छिपी सी धूप होती,तब लड़ी तुम बादलों से
लक्ष्य की इस पटकथा में,भाल का शृंगार हो तुम।।

साधनों की रिक्तता में,हौसले के साज रखती
खेल टूटी डंडियों में,प्रीत का अँकवार हो तुम।

रच रहा इतिहास नूतन,स्वप्न अंतस में सँजोये
कोटि जन के भाव कहते,देश का आभार हो तुम।।

अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ

Wednesday, July 26, 2023

विजय दिवस

 

दोहे

विजय दिवस की शुभकामनाएं


वीर सपूतों को करें,शत-शत बार प्रणाम ।

प्राणों के उत्सर्ग से, किया देश का नाम ।।


अद्भुत गाथा लिख गये ,ऊँचे पर्वत द्रास ।

कठिनाई से कब डरे, ले ली अंतिम साँस।।


जिनके वीर सपूत ये,धन्य मातु अरु तात।

नाम अमर इतिहास में,जब अरि को दी मात।।


ऋणी शहीदों के सभी, रक्षा का लें भार।

व्यर्थ नहीं बलिदान हो, लेते शपथ हजार ।।


वीरों के बलिदान से, नतमस्तक हैं आज।

उनके ही सम्मान में ,करें नया आगाज।।


अनिता सुधीर आख्या



Monday, July 24, 2023

जल जीवन


 चित्र गूगल से


जल प्रबंधन


प्यासी मौतें डेरा डाले

पीड़ा नीर प्रबंधन की


सूरज छत पर चढ़ कर नाचे

जनजीवन कुढ़-कुढ़ मरता

ताप चढ़ा कर तरुवर सोचे

किस की करनी को भरता

 ताल-नदी का वक्ष सूखता

आशा पय संवर्धन की।।


कानाफूसी करती सड़कें 

चौराहे का नल सूखा

चूल्हा देखे खाली बर्तन 

कच्चा चावल है भूखा

माँग रही है विधिवत रोटी

भूख बिलखती निर्धन की।।


बूँद टपकती नित ही तरसे

कैसे जीवन भर जाऊँ

नारे भाषण बाजी से अब

कैसे मन को बहलाऊँ

बाढ़ खड़ी हो दुखियारी बन 

जन सोचे अवरोधन की।।


अनिता सुधीर 


Sunday, July 23, 2023

एकाकीपन


 नवगीत


एकाकीपन


घर पीछे बड़बेर

सुना बेरों से बतियाती।।


अलसायी सी रात

व्यथित हो चौखट पर बैठी

पोपल मुख निस्तेज

करे यादों में घुसपैठी

काँप उठी फिर श्वास

तभी बंधन को बहलाती।।



पतझड़ का आतिथ्य

कराता शूलों को पीड़ा 

जीवन त्यागे राग

उदासे सुर भूले क्रीड़ा

ओसारे की खाट

व्यर्थ में ही शोर मचाती।।


दीवारों के हास्य

नयन क्रंदन के घेरे में

बौना हो अस्तित्व

फँसा जीवन के फेरे में

एकाकी की पीर

सदा भावों को सहलाती।।


अनिता सुधीर आख्या 

लखनऊ


Saturday, July 22, 2023

दहेज निषेध



दहेज कानून -अनुचित लाभ


काल चले जब वक्र चाल में

बिना बिके दूल्हा डरता


सात वर्ष ने दाँव चला अब

घर की हँड़िया कहाँ बिके

धन की थैली प्रश्न पूछती

छल प्रपंच में कौन टिके

अदालतों से वधू पक्ष फिर

खेत दूसरों के चरता।।


चिंता लाड़ जताती सबसे

नाच रही घर के अँगना

सास ननद अब सहमी सोचें

बचा रहे चूड़ी कँगना

पुरुष घरों के छुपे खड़े हैं

उदर व्यंग्य से नित भरता।।


कोर्ट-कचहरी के नियमों को

घूँघट से दहेज पढ़ता

अपने दोष छिपाकर सारे

वर की पगड़ी पर मढ़ता

तारीखों में सबको फाँसे

तहस-नहस जीवन करता।।



अनिता सुधीर आख्या



Friday, July 21, 2023

प्रेम

गीत

प्रेम-मोह

***
प्रेम मोह में भेद कर,हे मानव विद्वान।
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्त्व को जान।।

त्याग समर्पण प्रेम में,भाव रखे निस्वार्थ।
स्वार्थ प्रेम में मोह है,समझें यही यथार्थ।।
पुत्र मोह धृतराष्ट्र सम,होता गरल समान
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

प्रेम मोह को साथ रख,करें उचित व्यवहार।
सीमा में रख मोह को ,यही प्रेम आधार।।
हरिश्चंद्र के प्रेम का,दिव्य रूप पहचान।
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

शत्रु मनुज के पाँच ये,काम क्रोध अरु लोभ।
उलझे माया मोह जो,मन में रहे विक्षोभ।।
उचित समन्वय में रहे,जीवन का उत्थान
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

अनिता सुधीर आख्या


Thursday, July 20, 2023

महंगाई


 नवगीत

*महँगाई*



देख बढ़ी महँगाई

श्वास उधारी में फँसती


सपने महँगे होते 

जब घर में आटा गीला

कैसे चने भुनाएँ

जब चूल्हा जलता सीला

भार झोपड़ी सहकर

फिर गड्ढों में जा धँसती।

देख बढ़ी महँगाई

श्वास उधारी में फँसती।।


थैले भर रुपयों  में

मुट्ठी भर सब्जी आती

लाल टमाटर हुलसे

जब थाली सूखी खाती

पेट पीठ अब चिपके

दाने को भूख तरसती।

देख बढ़ी महँगाई

श्वास उधारी में फँसती।।


नया कलेवर पहने

नित छज्जे चढ़ती जाती

ताक धिना-धिन करके

नए-नए नृत्य दिखाती

बढ़ा जेब पर बोझा

दिल्ली निर्धन पर हँसती।

देख बढ़ी महँगाई

श्वास उधारी में फँसती।।


अनिता सुधीर आख्या




Wednesday, July 19, 2023

एकता


 चित्र गूगल से साभार

कुंडलियां

सपना कुर्सी का लिए,चलें विपक्षी चाल।

बैठक में मतभेद रख,रँगते अपनी खाल।।

रँगते अपनी खाल,लिए भारत का ठेका।

पाने मोटा माल,दिखाते फिर से एका।।

देता विगत प्रमाण,कहाँ कब कोई अपना।

खिँचती है जब टाँग,टूटता प्यारा सपना।।



अनिता सुधीर आख्या


Monday, July 17, 2023

विपदा

विपदा

नवगीत

विपदा जब द्वारे 
नहीं बिखरना

जीवन ने खेले
खेल निराले
जब जीत हार में 
पग में छाले
फिर पल ने बोला
सदा निखरना ।।

शतरंज बिछी है
घोड़ा ढैया
फिर पार लगाता
प्यादा नैया
तब कहें गोटियाँ
नहीं सिहरना।।

जीवन में दुख की
धूप सताती
सुख छत्र लिए फिर
छाया आती
विश्वास कहे अब
नहीं भटकना।।

अनिता सुधीर

Thursday, July 13, 2023

आधुनिकता

नवगीत

आधुनिकता

फुनगी पर जो
बैठे नंद।
नव पीढ़ी के
गाते छंद।।

व्यथा नींव की
सहती मोच
दीवारों पर
चिपकी सोच
अक्ल हुई अब
डिब्बा बंद।।

ऊँचे तेवर 
थोथे लोग
झूम रहे तन
मदिरा भोग
उलझे धागे
जीवन फंद।।

चढ़ा मुलम्मा
छोड़े रंग
बेढंगी ने 
जीती जंग
आजादी की
मचती द्वंद्व।।

मर्यादा की
बहकी चाल
लज्जा कहती
अपना हाल
आभूषण अब 
पहनें चंद।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, July 8, 2023

बरसात

उल्लाला छन्द आधारित गीतिका
समान्त   'आत'
पदांत      'में'
**

हँसे खेत खलिहान सब,इस मौसम बरसात में।
पाकर प्रेम फुहार को,भीगे भाव प्रपात में।।

चूल्हा सीला देखता,कब उसमें भी आग हो
जब निर्धन की झोपड़ी,टप-टप टपके रात में।।

बसी गृहस्थी कोसती,ऋतु भर की अति वृष्टि को
मनुज कमाई डूबती, मौसम के आघात में।।

सुन ध्वनि दादुर मोर की,धँसी सड़क यह सोचती।
दुर्घटना कब तक बचे, सुख दुख के आयात में।।

नित पानी में तैरता,दावा क्षेत्र विकास का
बंद पड़ी हैं नालियाँ, सरकारी उत्पात में।।

वृक्षारोपण अब करें, रोकें नद्य जमाव को।
पूरी हो परियोजना, देरी क्यों हो बात में।।

क्लांत नीतियाँ हो व्यथित,समाधान को ढूँढ़तीं
पावस कब लेकर चले, जीवन सुखद प्रभात में।।

अनिता सुधीर आख्या

Friday, July 7, 2023

याचना

याचना

याचना कब अकेले 
जीवित रह पाती है 
डर ,आशंका, लोभ
कामना के हिंडोले 
पर झूलती नजर आती है
गर्भ से ही सीख कर
मनुज आता है ..याचना
जब संतति कामना हेतु 
माँ करती है याचना ..
परिणाम के लिये 
करते सभी याचना ,
मन की दुर्बलता में 
अनहोनी की आशंका में
अधिक पाने के लोभ में 
मनुज करता याचना ..
याचना प्रभु चरणों में 
विश्वास और संबल बनती ..
मनुज की मनुज से 
स्वार्थ वश याचना 
भीख ही कहलाती 
और दुर्बल बना जाती ।
क्या श्रेष्ठ को करनी पड़ी है याचना ....
यदि करनी ही है याचना तो 
क्षमा याचना सीख लें

अनिता सुधीर

Tuesday, June 20, 2023

नई शिक्षा नीति



शिक्षा नीति

सुखद भोर है भारत में
शिक्षा में बदलाव लिए
पूर्ण प्रतीक्षा वर्षों की 
नीति नहीं भटकाव लिए।।

मूल भूत सिद्धांत रहा
निज भाषा से ज्ञान बढ़े
सम्प्रेषण आसान रहे
रटना क्यों सम्मान गढ़े
भाषा विकसित उन्नत हो
संस्कृति का प्रस्ताव लिए 
सुखद भोर है भारत में
शिक्षा में बदलाव लिए
पूर्ण प्रतीक्षा ..

कक्षा छह में जाते ही
अधुना शिक्षण ज्ञान मिले
लक्ष्य आत्मनिर्भरता है
रोजगार अभियान मिले
शिक्षा में व्यवधान न हो
यही अनोखा भाव लिये
सुखद भोर है भारत में
शिक्षा में बदलाव लिए
पूर्ण प्रतीक्षा..

बड़े लाभ का नियम बना
मानविकी विज्ञान पढ़े
नींव बने मजबूत तभी
साथ-साथ जब सभी बढ़े
कार्य चुनौती पूर्ण बड़ा
नहीं रहे बिखराव लिए
सुखद भोर है भारत में
शिक्षा में बदलाव लिए
पूर्ण प्रतीक्षा ..


अनिता सुधीर आख्या

Friday, June 16, 2023

तन पिंजर

गीत

तन पिंजर

तन पिंजर में कैद पड़ा है,लगता जीवन खारा।
तृषा बुझा दो उर मरुथल की,दूर करो अँधियारा।।

तप्त धरा पर बरसों भटके,प्रेम गठरिया  हल्की।
रूठ चाँदनी छिटक गयी है,प्रीत गगरिया छलकी।।
इस पनघट पर घट है रीता,भटके मन बंजारा।
तृषा बुझा दो उर मरुथल की,दूर करो अँधियारा।।

ओढ़ प्रीत की चादर ढूँढूँ,तेरा रूप सलोना।
ब्याह रचा कर कबसे बैठी,चाहूँ मन का गौना ।।
चेतन मन निष्प्राण हुआ अब,माँगे एक किनारा।
तृषा बुझा दो उर मरुथल की,दूर करो अँधियारा।।

बाह्य जगत के कोलाहल को,अब विस्मृत कर  जाऊँ।
चातक मन की प्यास बुझाने,बूँद स्वाति की पाऊँ।।
तेरे आलिंगन में चाहूँ,बीते जीवन सारा।
तृषा बुझा दो उर मरुथल की,दूर करो अँधियारा।।

अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, June 13, 2023

न्याय

न्याय 


न्याय के मंदिर में 
आंखों पर पट्टी बांधे 
मैं न्याय की देवी .प्रतीक्षा रत  ...
कब मिलेगा न्याय सबको...
हाथ में तराजू और तलवार लिये
तारीखों पर  तारीख की 
आवाजें सुनती रहती हूँ ..
वो चेहरे देख नहीं पाती ,पर
उनकी वेदना समझ पाती हूँ
जो आये होंगे 
न्याय की आस में 
शायद कुछ गहने गिरवी रख 
वकील की फीस चुकाई होगी,
या  फिर थोड़ी सी जमीन बेच 
 बेटी के इज्जत की सुनवाई में 
बचा  सम्मान  फिर गवाया होगा
और मिलता क्या 
एक और तारीख ,
मैं न्याय की देवी प्रतीक्षा रत ....
कब मिलेगा इनको  न्याय...
सुनती हूँ
सच को दफन करने की चीखें
खनकते सिक्कों की आवाजें
वो अट्टहास  झूठी जीत का 
फाइलों में कैद  कागज के 
फड़फड़ाने की,
पथराई आँखो के मौन 
हो चुके शब्दों के कसमसाने की
शब्द भी स्तब्ध रह जाते 
सुनाई पड़ती ठक ठक !
कलम  के आवरण से 
निकलने की   बैचेनी
सुन लेती हूँ 
कब लिखे वो न्याय 
मैं न्याय की देवी  प्रतीक्षारत....
महसूस करती हूँ
शायद यहाँ  लोग 
काला पहनते होंगे 
जो अवशोषित करता होगा 
झूठ फरेब  बेईमानी
तभी मंदिर बनता जा रहा 
अपराधियों का अड्डा 
कब मिलेगा न्याय  और
कैसे मिलेगा न्याय 
जब सबूतों को 
मार दी  जाती गोली
मंदिर परिसर में 
मैं मौन पट्टी बांधे इंतजार में
कब मिलेगा न्याय..
जग के न्यायकर्ता को 
कौन और कब दे न्याय..

©anita_sudhir

Friday, June 9, 2023

गीतिका

गीतिका

नियम-युद्ध उर ने लड़ा है।
उलझता हुआ-सा खड़ा है।।

समय चक्र की रेत में धँस
वहीं रक्तरंजित पड़ा है।।

रही भिन्नता कर्म में जब
भरा पाप का फिर घड़ा है।।

विलग भाव की नीतियों ने
तपन ले मनुज को जड़ा है।।

जमी धूलि कबसे पुरातन
विचारें कहाँ पल अड़ा है।।

सदी-नींव को जो सँभाले
बचा कौन-सा अब धड़ा है।।

लिए भाव समरस खड़ा जो
वही आज युग में बड़ा है।।

समर में विजय कर सुनिश्चित
जगत मिथ्य भू में गड़ा है।।

अनिता सुधीर आख्या

Friday, May 5, 2023

वैरागी

वैरागी
**
मनुष्यत्व को छोड़
देवत्व को पाना ही 
क्या वैरागी कहलाना ..
पंच तत्व निर्मित तन 
पंच शत्रुओं से घिरा
जग के प्रपंच में लीन
इस पर विजय 
संभव कहाँ!
हिमालय की कंदराओं में 
जंगल की गुफाओं  में 
गरीब की कुटिया में 
या ऊँची अट्टालिकाओं में!
कहाँ मिलेगा वैराग्य
क्या करना होगा सब त्याज्य
क्या बुद्ध बैरागी रहे 
या यशोधरा कर्तव्यों को 
साध वैरागिनी रहीं !
गेरुआ वसन धारण किये
हाथ में कमंडल लिये
सन्यासी बने 
वैरागी बन पाए 
या संसारी संयमी हो 
कर्त्तव्य साधता रहा 
वही वैरागी रहा ।
ज्ञान प्राप्ति की खोज 
दर दर भटकते लोग 
निर्लिप्त में लिप्त 
वो वैरागी 
या जो लिप्त में निर्लिप्त 
हो जाये,
वो वैरागी कहलाये।

अनिता सुधीर

Tuesday, April 4, 2023

महावीर जयंती


महावीर जयंती की शुभकामनाएं

छंद मुक्त

अज्ञानता का अंधकार जब छाया था जग में 
ज्ञान का प्रकाश फैलाया चौबीसवें तीर्थंकर ने ।
जन्म पूर्व माँ त्रिशला को स्वप्न में आभास हुआ 
राजा सिद्धार्थ ने स्वपनों को यथा परिभाष किया।
साधना ,तप ,अहिंसा से, सत्य से साक्षात्कार किया
महापुरुष महावीर ने जनजीवन को आधार दिया  ।
जैन  धर्म को पंचशील का सिद्धांत  बतलाया 
सत्य,अहिंसा,अपरिग्रह,अस्तेय, ब्रह्मचर्य सिखाया ।
बारह महत्वपूर्ण वचनों से था भिज्ञ करवाया 
'जियो और जीने दो' का अर्थ था समझाया ।
शत्रु कहीं बाहर नही ,भीतर ही विराजमान है
क्रोध ,घृणा ,लोभ अहम  से लड़ना सिखाया ।
स्वयं को जीतना ही श्रेयस्कर है ,समझाया 
क्षमा और प्रेम के महत्व का पाठ पढ़ाया ।
आत्मा सर्वज्ञ और आनंद पूर्ण है ,
शांति और आत्मनियंत्रण ही महत्वपूर्ण है ।
अलग कहीं न पाओगे प्रभु के अस्तित्व को 
सही दिशा में प्रयास कर पा जाओ देवत्व को ।
शेर और गाय अब  एक ही घाट पानी पियें
आओ मानवता  का दीप हम प्रज्वलित करें।
आज के समय की  भी यही पुकार  है
तीर्थंकर के संदेशों को आत्मसात कर जीवन सफल करें।
उनके वचनों का पालन करने का व्रत  लेते है 
महावीर जयंती पर शत शत नमन करते हैं ।


अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, March 28, 2023

विश्व रंगमंच दिवस

विश्व रंगमंच दिवस

जग के नाटक मंच का,प्रहसन लिखता कौन।
कर्मों का फल झेलता,अभिनय कर्ता मौन।।

अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, March 21, 2023

विश्व कविता दिवस

विश्व कविता दिवस 

*काव्य रश्मियाँ*

काव्य रश्मियों का आलिंगन
देता श्वासों को  स्पंदन।।

मन द्वारे की सांकल बजती
शोर मचाती है कविता
मसि कागद का टोटा रहता
पीर जलाए जब सविता
कोरे पृष्ठों पर कोरी सी 
नित्य करे कविता ये मन।।

एक भाव जब अम्बर छूता
दूजा खींचे  सागर में 
अम्बर से सागर की दूरी
कैसे भर दूँ गागर में
नौ रस गुत्थम गुत्था करते
शिल्प गढ़े तब आतुर जन।।

क्षणिक ठौर को साँसे तरसे
छन्द जागता धीरे तब
वर्ण गूँथ कर माला पहने
रस श्रृंगार रचाता अब
सिक्त भाव से चले लेखनी
जगत पटल निखरे बन ठन।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, March 18, 2023

मुक्तक

मुक्तक


टेढ़ी डगर पर पाँव का,अब मखमली सत्कार हो।
थी पीर वर्षों से सही, इन राह से अब प्यार हो।।
घट रिक्त जीवन का रहा, हर मोड़ पर जो प्यास थी
यह आस लेकर चल पड़ी,अब बूँद से अभिसार हो।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, March 11, 2023

महिलाओं के अधिकार

 


"महिलाओं के अधिकार"

महिलाओं के अधिकार से तात्पर्य ऐसी स्वतंत्रता से है जो व्यक्तिगत बेहतरी के लिये तथा सम्पूर्ण समुदाय की भलाई के लिये आवश्यक है।
प्रत्येक महिला या बालिका का समाज में जन्मसिद्ध अधिकार है।  न्याय के मूलभूत सिद्धांतों के तहत व
मानवीय दृष्टिकोण से ये नितांत आवश्यक है कि महिलाओं को पूर्ण संरक्षण प्रदान करे व उन्हें स्वयं के निर्णय लेते हुए जीवन जीने का अवसर प्राप्त हो।
महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कर रही हैं। जमीन से लेकर आसमान में ही नहीं, अंतरिक्ष में भी उनके कदमों की छाप मौजूद है ।जिस तरह से उनका कद बढ़ा है तो उन्हें अपने हक और उससे जुड़े कानूनों के बारे में भी जानना अति आवश्यक है ।महिलाओं के प्रति सबकी सोच और नजरिए में पिछले कुछ दशकों में गजब का सकारात्मक बदलाव आया है ,पर इन बदलावों का मतलब यह नहीं कि पुरुष और महिलाएं बराबरी पर पहुंच गए हैं। समानता की यह लड़ाई अभी काफी लंबी चलनी है ।दुनिया के कई देशों में आज भी महिलाएं अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं ।इसमें अपना देश भारत भी है और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अधिकांश महिलाएं अपने अधिकारों और हक के बारे में सही तरीके से जानती ही नहीं है।
भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही नारी का स्थान सम्मानीय रहा है । जिस कुल में स्त्रियों की पूजा होती है वहां पर देवता प्रसन्न होते हैं।ऐसा हमारे शास्त्रों में वर्णित हैं।भारतीय संस्कृति के प्रारंभ में नारी  ही है ।उन दिनों परिवार में मातृ सत्ता ही होती थी। खेती की शुरुआत तथा एक जगह बस्ती बनाकर रहने की शुरुआत नारी ने ही की थी ।
  आर्यों की सभ्यता और संस्कृति के काल में नारी की स्थिति बहुत मजबूत थी। ऋग्वेद काल में भी  नारी सर्वोच्च शिक्षा ग्रहण करती थी। सरस्वती को वाणी की देवी माना गया है। अर्धनारीश्वर की कल्पना स्त्री और पुरुष के समान अधिकार और उनके संतुलित संबंधों का परिचायक है।
कालांतर में धीरे-धीरे सामाजिक व्यवस्था पितृ सत्तात्मक हो गई और नारी हाशिए पर चली गई ।
मध्ययुगीन काल में महिलाओं की स्थिति में अधिक गिरावट आई ।भारत के समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह जैसी प्रथाओं और विधवा पुनर्विवाह पर रोक
सामाजिक जिंदगी का हिस्सा बन गई थी । मुसलमानों की जीत ने पर्दा प्रथा को भारतीय समाज का अंग बना दिया ।राजपूतों ने जौहर की प्रथा आरंभ की । भारत के कुछ हिस्सों में देवदासियों को यौन शोषण का भी शिकार होना पड़ा था ।बहु विवाह की प्रथा हिंदू क्षत्रिय शासकों में व्यापक रूप  से प्रचलित थी ।महिलाएं जनाना क्षेत्र तक ही सीमित थी ।
अंग्रेजी शासन के समय राजा राममोहन राय के प्रयास से सती प्रथा का उन्मूलन हुआ ,और ईश्वर चंद विद्यासागर ने विधवाओं की स्थिति को सुधारने में बहुत प्रयास किए ।उनके संघर्ष का परिणाम विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1956 के रूप में सामने आया ।
1929 में मोहम्मद जिन्ना के प्रयासों के बाद बाल विवाह निषेध नियम पारित किया गया और न्यूनतम विवाह की उम्र 14 वर्ष की गई ।इसका उद्देश्य महिलाओं की स्थिति  में सुधार करना ही था ।
भारत में नारीवादी  सक्रियता ने 1970 के दशक में रफ्तार पकड़ी ।मथुरा बलात्कार केस में काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था ।भारतीय दंड संहिता को संशोधित करने और हिरासत में लेने के लिए मजबूर किया गया ।महिला कार्यकर्ता लिंगभेद ,महिला स्वास्थ्य और महिला साक्षरता दर जैसे मुद्दे पर एकजुट हुईं ।
भारतीय समाज में शराब की लत को को अक्सर महिलाओं के खिलाफ हिंसा से जोड़कर देखा जाता है ।शराब विरोधी कानून 1990 के दशक  में लागू हुआ। एनजीओ के गठन और  राष्ट्रीय महिला आयोग ने भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय महिला आयोग भारतीय संसद द्वारा 1990 में पारित अधिनियम के तहत जनवरी 1992 में गठित एक सांविधिक निकाय है। यह कैसी इकाई है जो शिकायत या स्वतः संज्ञान के आधार पर महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू करती है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य भारत में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और उनके मुद्दों और चिंताओं के लिए एक आवाज प्रदान करना है। आयोग ने अपने अभियान में प्रमुखता के साथ दहेज, राजनीति ,धर्म और नौकरियों में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व तथा श्रम के लिए महिलाओं के शोषण को शामिल किया है ।महिलाओं के खिलाफ पुलिस दमन और गाली गलौज को भी गंभीरता से लिया है। बलात्कार पीड़ित महिलाओं के राहत और पुनर्वास के लिए बनने वाले कानून में राष्ट्रीय महिला आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।अप्रवासी भारतीय पतियों के जुल्मों और धोखे की शिकार या परित्यक्ता महिलाओं को कानूनी सलाह देने के लिए आयोग की भूमिका भी अत्यंत सराहनीय रही है।
भारत सरकार ने 2001 को महिलाओं को सशक्तिकरण वर्ष के रूप में घोषित किया ।
राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति एक विराट अवधारणा है जिसमें महिलाओं से संबंधित संवैधानिक व्यवस्थाओं को समाज में वास्तविक रूप से परिलक्षित करवाना है।
भारतीय संविधान में महिलाओं को पूर्ण संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की गयी है ।महिलाओं के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 21 व 22 व 22 में वर्णित है ।
सभी भारतीय महिलाओं का समान अधिकार अनुच्छेद 14 में ,
राज्य द्वारा कोई भेदभाव नहीं करना अनुच्छेद 15, अवसर की समानता अनुच्छेद 16 और
समान कार्य के लिए समान वेतन की  गारंटी देता है। अनुच्छेद 15 महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं को परित्याग करने को करने को कहता है ।
शोषण के विरुद्ध अधिकारों का उल्लेख अनुच्छेद 23 व 24 में है।
महिलाओं के सांस्कृतिक व शैक्षणिक अधिकार अनुच्छेद 29, 30 ,39.1, 42 में है है ।इसी क्रम में महिलाओं की सुरक्षा हेतु घरेलू aहिंसा, संपत्ति ,दहेज निषेध कानूनों का निर्माण किया गया है ।इन सब के साथ ही समान नागरिक संहिता के तहत महिलाओं को सुरक्षा प्राप्त है ।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए वास्तविक जीवन में काम आने वाले कानून
1)घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 यौन उत्पीड़न अधिनियम:
यह अधिनियम मुख्य रूप से पति ,पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्ते द्वारा एक पत्नी ,एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की  गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा के लिए बनाया गया है। महिला या उसकी तरफ से कोई भी यह शिकायत दर्ज कर सकता है।
2) पीसीपीएनडीटी एक्ट :
इस एक्ट के तहत भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार -जीने के अधिकार का अनुभव करने दे। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पढ़ रोक तथा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।
3)समान वेतन अधिनियम 1976:
इस अधिनियम के अनुसार - वेतन या मजदूरी को  लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता । समान वेतन पर महिला और पुरुष का समान अधिकार है।
4) हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम :
भारत के कानून में किसी भी महिला को अपने पिता की पुश्तैनी संपत्ति में पूरा अधिकार है।
5)रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार:
आम जीवन में महिलाओं के अधिकार के लिये
अपराधिक प्रक्रिया संहिता सेक्शन 46 के तहत एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
6) गोपनीयता का अधिकार:
यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को अपने नाम की गोपनीयता बनाए रखने का पूरा अधिकार है । अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।
7)गरिमा और शालीनता का अधिकार:
किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में की जानी चाहिए।
8) मुफ्त कानूनी मदद के लिये अधिकार:
रेप की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार है।
  स्टेशन हाउस ऑफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो  विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था के लिए सूचित करें ।
9) मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार :
मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ संविधान नहीं बल्कि यह उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती है और वह अपना काम फिर से शुरू कर सकती है।
10) कानूनी रूप से अलग होने के बाद पति की हैसियत के हिसाब से महिला को गुजारा भत्ते का हक है ।
11) अपनी भाषा शैली और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार भी महिलाओं को मिला हुआ है
12)शिक्षा का अधिकार:
यह अधिकार सभी बच्चों विशेषकर बालिकाओं के लिए मुफ्त व अनिवार्य प्राथमिक ,माध्यमिक और उच्च शिक्षा का प्रावधान देता है ।यह उन सभी महिलाओं को मूल शिक्षा का अधिकार देता है जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं की है। बिना भेदभाव के शिक्षण संस्थान में भी प्रवेश लेने का अधिकार  महिलाओं को देता है । धर्म, वंश जाति और भाषा के आधार पर  महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
9 मार्च 2010 को राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को पारित किया गया जिसे संसद और राज्य की विधानसभा में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण की व्यवस्था है।
जिस समाज में सक्षम पुत्र को भी माता के नाम से जाना जाता था  जैसे अर्जुन को कौन्तेय ,वहाँ आज की परिस्थिति में महिलाओं के ऊपर  बढ़ते व्यभिचार और अत्याचार बड़े ही निंदनीय है ।
ये विचार करने का प्रश्न है कि महिलाएं अपनी हकों की लड़ाई क्यों नहीं लड़ पाती  हैं ।
महिला  खुद को बड़े कदम उठाने के लिए अपने आप को सक्षम नहीं पाती हैं।
शिक्षा और  जानकारी का अभाव भी एक महत्वपूर्ण कारण है। साथ ही न्यायिक प्रक्रिया इतनी जटिल है और इतना समय लेती है कि महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा पाती हैं ।
लोक लाज और समाज का डर भी एक महत्वपूर्ण कारण है ।
महिलाएं अपनी पुरानी सोच से उबर नहीं पाई है।
संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि सिर्फ कानूनों के निर्माण से ही नारी की सुरक्षा संभव नहीं है ।एक संपूर्ण सुरक्षित वातावरण के निर्माण हेतु हमें अपने घर से ही शुरुआत करनी पड़ेगी और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना पड़ेगा। न्याय की प्रक्रिया को तेज करते हुए करते हुए यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि बालिकाओं के अधिकार व महिलाओं के हितों की सुरक्षा हेतु अविलंब कार्रवाई प्रत्येक स्तर पर अविलंब हो ।
नारी ने स्वयं को ही पुरुषों से कम आँक लिया है ।अपने विचार में ये परिवर्तन लाना है कि वो सृजनकारी है,यदि वो पुष्प की तरह कोमल है तो  चट्टान की तरह अडिग है,और सजग रहते हुए नारी का वो प्राचीन सम्मान फिर से प्राप्त करना है ।


अनिता सुधीर आख्या


Friday, March 10, 2023

नारी

 नारी


ये मूक खामोश औरतें

ख्वाहिशों का बोझ ढोते-ढोते

सदियों से वर्जनाओं में जकड़ी 

परम्पराओं और रुढियों 

की बेड़ियों मे बंधी 

नित नए इम्तिहान से गुजरती

हर पल  कसौटियों पर परखी जाती ..

पुरुषों के हाथ का खिलौना बन 

बड़े प्यार से अपनों से ही छली जाती ..

बिना अपने पैरों पर खड़े 

बिना रीढ़ की हड्डी के,

ये अपने पंख पसारती ..

कंधे से कंधा मिला कर चलती 

सभी जिम्मेदारियाँ निभाती 

खामोशी से सब सह जाती

आसमान से तारे तोड़ लाने 

की हिम्मत रखती है

तभी नारी वीरांगना कहलाती है ।

ये क्या एक दिन की मोहताज है..

नारी !गलती  तो तुम्हारी है 

बराबरी का अधिकार माँग 

स्वयं को तुम क्यों कम आँकती ..

तुम पुरुष से श्रेष्ठ हो

बाहुबल मे कम हो भले 

बुद्धि ,कौशल ,सहनशीलता 

में श्रेष्ठ हो तुम

अद्भुत अनंत विस्तार है तुम्हारा 

पुष्प  सी कोमल हो 

चट्टान सी कठोर हो 

माँ  की लोरी ,त्याग  ममता में हो 

बहन के प्यार में हो 

पायल की झंकार में हो

बेटी के मनुहार में हो ..

नारी !नर तुमसे है 

सृजनकारी हो तुम 

अनुपम कृति हो तुम..

आत्मविश्वास से भरी 

अविरल निर्मल हो तुम ..

चंचल चपला मंगलदायिनी हो तुम

नारी !वीरांगना हो तुम।



अनिता सुधीर आख्या

Saturday, February 18, 2023

शिवरात्रि



महापर्व शिवरात्रि की अनंत शुभकामनाएं


महापर्व शिवरात्रि में,मिलन शक्ति-अध्यात्म का।

कृष्ण चतुर्दश फाल्गुनी, प्रकृति-पुरुष एकात्म का।।


पंच तत्त्व का संतुलन,यह शिवत्व आधार है।

वैरागी को साधना, ही जीवन का सार है।। 


प्रकटोसव शिवरात्रि में, ऊर्जा का संचार है।

द्वादश ज्योतिर्लिंग में, निराकार साकार है।।


शिव गौरा के ब्याह की, आज मनोरम रात में।

आराधन में लीन हो, भीगें भक्ति-प्रपात में।।


सृष्टि रचयिता रुद्र का, तीन लोक अधिपत्य है।

महाकाल हैं काल के, शिवं सुंदरं सत्य है।।


औगढ़ योगीराज का, आदि अंत अज्ञात है।

तांडव नृत्य त्रिनेत्र का, सकल अर्थ विख्यात है।।


आत्मजागरण पर्व की, महिमा अपरंपार है।

नीलकंठ के अर्थ में, जगत श्रेष्ठ व्यवहार है।।


शंकर-गौरा साथ में, और भाव वैराग्य भी।

गुण विरोध में संतुलन, यही मनुज सौभाग्य भी।।


नाड़ी तीन प्रतीक हैं, शंकर हस्त त्रिशूल के।

दैहिक भौतिक ताप हर, निष्कंटक जग मूल में।।


राख चिता की गात जो,भस्म जीव का साथ है।

भाव शुद्धता का लिए, बाबा भोलेनाथ हैं।।


बिल्वपत्र अक्षत चढ़ा,करिए व्रत उपवास सब।

कैलाशी को पूज कर, जीवन करें प्रभास सब।।



अनिता सुधीर आख्या


Tuesday, February 14, 2023

पुलवामा

घात लगाकर दे गए,आतंकी आघात।
चार वर्ष अब बीतते,ह्रदय व्यथित दिन रात।।

ओढ़ तिरंगा सो गए,पुलवामा के वीर।
दृग नम उनकी याद में, द्रवित करे यह बात।।

व्यर्थ न होगा साथियों,ये अनमिट बलिदान।
वादा करते हम सभी  ,अरि को देंगे मात ।।

कोटि-कोटि उनको नमन,जिनके तुम हो लाल।
अर्पित श्रद्धा के सुमन, तुमसे नवल प्रभात।।

परिभाषित कर प्रेम को,गाथा लिखी महान ।
प्रेम-दिवस अब है अमर, तुमसे ही विख्यात ।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, January 29, 2023

रामचरित मानस

राम चरित मानस

दुर्मिल सवैया छंद  
आठ सगणों (।।ऽ) 
 
**।।१।।
अति लोक लुभावन मानस है,प्रभु राम चरित्र रचे तुलसी।
वह घाट बनारस पावन है,गुणगान सचित्र रचे तुलसी।।
जब मार्ग दिखा हनुमान चले,शुभ ग्रंथ पवित्र रचे तुलसी।
पट द्वार खुले जब मंदिर के,हिय शंकर मित्र कहे तुलसी।।

**।।२।।

तुलसी कृत पावन *मानस* में, जनमानस नायक राम लला।
अवतार लिए हरि विष्णु प्रभो,सरयू सुखदायक राम लला।।
रघुनंदन नाथ सियापति जी,रघुवंश सहायक राम लला।।
जगपालक कोटि प्रणाम तुम्हें,भव कष्ट विनाशक राम लला।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, January 22, 2023

उत्तर प्रदेश की नदियां


उल्लाला छंद

नदी

भूतल पर जलधार का,स्त्रोत झील हिमनद रहे।
सरिता तटिनी शैलजा,नदी नद्य इसको कहे।।

नदियाँ जीवन दायिनी,जल जीवन आधार है।
मातु सरिस सब पूजते,ये संस्कृति का सार है।।

कहीं जन्म ले बह चली,नीर जलधि में भर रही।
विकसित होती सभ्यता,लालन पालन कर रही।।I

रूप सदानीरा रहे,या बरसाती रूप हो।
अविरल अविरामी चलें,भरा धरा का कूप हो।।

*उत्तर प्रदेश की नदी*


धार्मिक महत्व को रखें,उत्तर प्रदेश की नदी।
ग्रंथों में गाथा लिखे ,बीत गयी कितनी सदी।।

गंगा यमुना गोमती,नदी प्रमुख है शारदा ।
चम्बल वरुणा घाघरा,सभी मिटातीं आपदा।।


*गंगा*

प्रमुख नदी है देश की,गोमुख उद्गम जानिए।
पंच प्रयागों से बनीं,पावन गंगा मानिए।।

आकर फिर ऋषिकेश में,चलतीं हरि के द्वार अब।
गढ़मुक्तेश्वर कानपुर,चलीं इलाहाबाद तब।।

यमुना से संगम किये,स्वागत काशी घाट में।
मिले मोक्ष का द्वार फिर,भव बंधन की काट में।।

खाड़ी है बंगाल की,सुंदरवन डेल्टा रहा।
कपिल संत का धाम है,तीर्थ गंग सागर कहा।।

देवनदी शुभ गंग को,रखें स्वच्छ हम आप सब।
औषधि गुण भंडार से,करना है उपचार अब।।

*यमुना*


नदी सहायक गंग की,व्रज की यमुना जानिए।
उद्गम यमुनोत्री रहा, संगम गंगा मानिए ।

सूर्य देव की नंदिनी,मृत्यु देव् यम भ्रात हैं।
कालिंदी तन मन बसीं ,व्रजवासी की मातु हैं।।

दिल्ली मथुरा आगरा,नगरों को पावन किया ।
क्षेत्र इटावा कालपी,जल जीवन इनको दिया।। 

नहीं प्रदूषित कीजिये,ये कृषि का आधार है।
विकसित जल परियोजना,औद्योगिक विस्तार है।।

वल्लभ मार्गी लिख रहे,यमुना के गुणगान अब ।
घर घर गूँजे कृष्ण फिर, गाथा नदी महान अब।।


*गोमती*

वशिष्ठ महर्षि की सुता, वेद पुराणों ने कहा।
पापनाशिनी गोमती,मूल तत्व आस्था रहा।।

उद्गम पीलीभीत में,कैथी में गंगा मिली।
कितने कंटक मार्ग में,अविरल अविरामी चली।।

रावण वध का पाप था,स्नान किये प्रभु राम तब।
मुक्ति मिली थी पाप से,धनुष किये थे शुद्ध जब।।

मान *धोपाप* का बड़ा ,गंग दशहरा जानिए।
स्न्नान ध्यान करिये यहाँ,शुभ फलदायक मानिए।।


*रामगंगा*

नदी सहायक गंग की,नाम रामगंगा कहे।
गैरसैण तहसील में,दूधातोली से बहे।।

चली कुमायूँ क्षेत्र से,दक्षिण पश्चिम ओर अब।
खड़ोगार आकर मिली,दूनागिरि के छोर तब।।

देवगाड़ से नीर ले,जिम कार्बट उद्यान में।
जिला बिजनौर से चली,पहुँची फिर मैदान में।।

बाँध नदी पर बन गया,पनबिजली उत्पाद है।
खोह नदी संगम हुआ,जिला मुरादाबाद है।।

आकर के कन्नौज में,नदी गंग से आ मिली।
जलविद्युत परियोजना,से सिंचाई कर चली।।

*शारदा*

नदी महाकाली कहें,मैदानों में शारदा।
कालापानी स्थान से,चली मिटाने आपदा।।

मंदिर काली मातु का,लिपू लीख दर्रा रहा।
देवि नाम पर नाम रख,फिर काली गंगा कहा।।

हिन्द और नेपाल की,सीमा चिन्हित कर रही।
बाँध टनकपुर योजना,जल सिंचाई भर रही।।

नया नाम सरयू पड़ा,बहराइच में लोग अब ।
बलिया में गंगा मिली,उत्तम फल का भोग अब।।

बहराइच में नाम अब ,सरिता सरयू जानते।
बलिया में गंगा मिली,द्वार मोक्ष का मानते ।।

*सरयू*

वेदों में उल्लेख है,नदिया ये प्राचीन है।
नगर प्रभो का है बसा,सभी भक्ति में लीन हैं।।

बहराइच से नाम ले,रामप्रिया सरयू कहे ।
मोक्षदायिनी ये नदी,नगर अयोध्या में बहे।।

पतित पावनी घाघरा,इसका दूजा नाम है।
प्रभो विष्णु के नेत्र से,निकला पावन धाम है।।

पाप मिटाती ये नदी,ऐसा कहते लोग हैं।
स्नान दान जप तप करें,उत्तम जीवन भोग है।।

प्रमुख सहायक रापती,गोरखपुर तक बह चली।
संगम गंडक से हुआ ,छपरा में गंगा मिली।।

*चंबल नदी*

बारहमासी शैलजा,उद्गम जानापाव है।
चम्बल नदिया बह चली,यमुना इसका ठाव है।।

कोटा राजस्थान से,मन्दसौर रतलाम को।
भिंड मुरैना को चली,पाँच नदी के धाम को।।

जलप्रपात चूलिया बना,तीन प्रदेशों से बहे।
गाँधी सागर बाँध है,कामधेनु इसको कहे।।

चम्बल मामा शकुनि का,खेल यहाँ चौसर हुआ।
प्रथम नदी शापित रही,इसे न कोई फिर छुआ।।

नीर स्वच्छ बीहड़ नदी,जनसंख्या कम है यहाँ।
मुक्त प्रदूषण से रही,इतिहास अद्भुत वहाँ।।


*प्रदूषण*

नदी प्रदूषित मत करें,यह जीवन आधार है।
धोते हैं क्यों पाप सब,स्वच्छ नीर अधिकार है।।

माटी को  बाँधे जड़ें, रोके मृदा कटाव को।
स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव को ।।

बाढ़ और सूखा बने ,जीवन में अभिशाप जब।
कहे नदी की धार फिर ,जतन करो मिल आप सब।।

करें समापन लेख का,उत्तम अनुभव ये रहा।
जीवटता संदेश दे,गति को ही जीवन कहा ।।


अनिता सुधीर आख्या









Sunday, January 15, 2023

मकर सक्रांति

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं

प्रथम पर्व यह वर्ष का,खत्म हुआ खर मास।
तेजोमय हों सूर्य सम,लगी देव से आस।।

संवत के पंचाग में,हिंदू तिथि आधार।
मकर राशि दिनकर चले,आये तब त्यौहार।।
दक्षिण से उत्तर चले, सूर्य देव भगवान।
पुण्य काल आराधना,करिये जप तप दान।।
बीजमंत्र है सूर्य का,मकर संक्रांति खास।
तेजोमय हों ..

परम्परा के पर्व में रहे एकता सार।
माघी पोंगल लोहड़ी,खुशियों के उद्गार।।
कल्प वास की है प्रथा,उमड़ा जन सैलाब।
भारत संस्कृति श्रेष्ठतम,इसका नहीं जवाब।।
खिचड़ी पापड़ रेवड़ी,तिल गुड़ भरे मिठास।
तेजोमय हों ...

नई फसल अब कट रही,कृषकों का आभार।
भरा रहे धन धान्य से, सदा अन्न भंडार।।
मन पतंग बन उड़ चले, थाम हृदय की डोर।
सकरात्मक ऊर्जा लिए,नवल सुखद हो भोर।।
ऋतु परिवर्तन जान कर,भरता मन उल्लास।
तेजोमय हों ....


अनिता सुधीर आख्या

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...