Thursday, January 16, 2020

विद्या :- वर्ष छंद  (वर्णिक)
विषय :-व्यवहार
मापनी- 222 221 121
(मगण तगण जगण)
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छीने दूजे के अधिकार,
रोटी की होती तकरार।
होते ही जाते व्यभिचार,
कैसा झूठा है व्यवहार।

भूले बैठें ये तहज़ीब ,
खेला है जो खेल अजीब ।
मूँदे बैठा नैन समाज ,
कैसे होगा पीर इलाज ।

लेना ही होगा प्रतिकार ,
सोचो कैसे हो उपकार ।
लायेगा ये कौन बहार ,
कैसे पायें रूप अपार।

सोचो ये आराम हराम,
पूरे होंगे काम तमाम ।
छोड़ोगे जो भोग विलास,
तो आयेगा भोर उजास ।

अनिता सुधीर

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