Saturday, January 25, 2020

एकता


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अखंडता अरु एकता ,भारत की पहचान।
विभिन्न संस्कृति देश की,इस पर है अभिमान।

जाति,धर्म निज स्वार्थ दे,गद्दारी का घाव ।
देशभक्ति ही धर्म हो  ,रखें एकता भाव ।

मातृभूमि रज भाल पर ,वंदन बारम्बार।
अमर तिरंगा हाथ में,रहे एकता सार ।

सर्व धर्म समभाव हो ,करिये सभी विचार।
भारत के निर्माण में ,बहे  एकता  धार। ।

देशप्रेम की अग्नि में ,जीवन समिधा डाल।
तेल एकता का पड़े ,उन्नत होगा  काल ।।

अपने हित को साधिये,सदा देश उपरान्त ।
जयभारत उद्घोष से ,हो एका सिद्धांत ।


अनिता सुधीर

11 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (२६-०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ५ (चर्चा अंक -३५९२) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

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  2. सुंदर रचना,
    परंतु जिस तरह से देश का नौजवान इन दिनों दो गुटों में विभाजित है उससे क्या राष्ट्र का विकास संभव है बड़ा सवाल मन में यह भी है ।

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  3. बहुत ही सुंदर भाव संजोये बेहतरीन रचना । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया

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    1. आ0 आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. सर्व धर्म समभाव हो ,करिये सभी विचार।
    भारत के निर्माण में ,बहे एकता धार। ।

    बहुत सुंदर संदेश.... , गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. हार्दिक आभार आ0

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