राम
दर्शन चिंतन राम का,है जीवन आधार।
आत्मसात कर राम को,मर्यादा है सार ।।
नेत्र प्रवाहित नदिया अविरल
नेह हृदय कुछ बोल रहा था,
बसी राम की उर में मूरत
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।
मुखमंडल की आभा ऐसी,
दीप्ति सूर्य की चमके जैसी।
बंद नयन में तुमको पाया,
आठ याम की लगन लगाया।
इस पनघट पर घट था रीता
ज्ञान चक्षु वो खोल रहा था।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।।
आहद अनहद सब में हो तुम ,
निराकार साकार सभी तुम ।
विद्यमान हो कण कण में तुम ,
ऊर्जा का इक अनुभव हो तुम ।
झांका जब अपने अंतस में,
वरद हस्त अनमोल रहा था ।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।।
राम श्याम बन संग रहो तुम,
चाह यही मैँ ,तुम्हें निहारूँ ।
मन मंदिर के दरवाजे पर,
नित दृगजल से पाँव पखारूं।
इसी आस में बैठी रहती ,
उर सागर किल्लोल रहा था।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।
अनिता सुधीर 'आख्या'
दर्शन चिंतन राम का,है जीवन आधार।
आत्मसात कर राम को,मर्यादा है सार ।।
नेत्र प्रवाहित नदिया अविरल
नेह हृदय कुछ बोल रहा था,
बसी राम की उर में मूरत
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।
मुखमंडल की आभा ऐसी,
दीप्ति सूर्य की चमके जैसी।
बंद नयन में तुमको पाया,
आठ याम की लगन लगाया।
इस पनघट पर घट था रीता
ज्ञान चक्षु वो खोल रहा था।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।।
आहद अनहद सब में हो तुम ,
निराकार साकार सभी तुम ।
विद्यमान हो कण कण में तुम ,
ऊर्जा का इक अनुभव हो तुम ।
झांका जब अपने अंतस में,
वरद हस्त अनमोल रहा था ।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।।
राम श्याम बन संग रहो तुम,
चाह यही मैँ ,तुम्हें निहारूँ ।
मन मंदिर के दरवाजे पर,
नित दृगजल से पाँव पखारूं।
इसी आस में बैठी रहती ,
उर सागर किल्लोल रहा था।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।
अनिता सुधीर 'आख्या'
वाह! अति सुंदर!!!
ReplyDeleteमम हृदय कुंज निवास कुरु
कामादि खल दल गंजनम।
🙏🙏🌹🌹🙏🙏
जी आ0 हार्दिक आभार
Deleteआपको हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर और सामयिक प्रस्तुति।
ReplyDeleteश्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आ0 हार्दिक आभार
Deleteआपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं
बहुत ही सुन्दर | लाजवाब |
ReplyDeleteरामनवमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
आ0 हार्दिक आभार
Deleteकितनी सुन्दर रचना है यह। अवश्य ही इसे लिखते वक्त आपको ईश्वर की अनुभूति हुई होगी। मुझे कोई संशय नहीं इस पर।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
जी आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे भावुक कर दिया ,
Deleteसत्य है ,जो इष्ट के लिए भाव थे ,वो आ नही पाय हैं
सादर