माटी के लाल,तूने माँ भारती संग प्रेम की गाथा रची
अपना सर्वस्व न्योछावर कर प्रेम की पराकाष्ठा लिखी
तुम्हारी विरासत सहेजने का वादा हम करते है
वीर सैनिकों की शहादत को हम नमन करते है।
हम सीमा पर नही डटे ,न खाई दुश्मन की गोली
बस इतनी ख्वाहिश है तुम हम संग खेलो होली
पर अंदर बाहर दुश्मन घात लगाए बैठा है
हमारी रक्षा हेतु तुम खा जाते सीने पर गोली।
शहादत का सेहरा बांध मृत्यु संग ब्याह रचाते हो
जन्मभूमि की रक्षा हेतु तुमअपने प्राण गवांते हो
भारत माँ के बेटे बन इस दुनिया से जाते हो
तिरंगे मे लिपट शादी का जोड़ा पहन घर आते हो।
कर्म ऐसे कर तुम तो गर्व से इठलाते हो
शहादत सिर्फ तुम नही ,माता पिता भी देते हैं
पत्नी बच्चों की शहादत पर मन व्यथित होता है
आंखे नम कर इस शहादत को हम नमन करते है
खून खौलता है जब मौत पर राजनीति होती है
पुलवामा उरी जैसी घटनाओं की आवृत्ति होती है
कसम खाते है तुम्हारी शहादत व्यर्थ नहीं जाने देंगे
तुम्हारे लहू के कतरे कतरे का हिसाब लेके रहेंगे ।
©anita_sudhir
देशभक्ति का आह्वान करती आपकी लेखनी को नमन है आदरणीया अनीता सुधीर जी।
ReplyDeleteजी आ0 हार्दिक आभार
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१२-०४-२०२०) को शब्द-सृजन-१६'सैनिक' (चर्चा अंक-३६६९) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
हार्दिक आभार अनिता जी
ReplyDeleteसार्थक जागरण लेखन।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteकर्म ऐसे कर तुम तो गर्व से इठलाते हो
ReplyDeleteशहादत सिर्फ तुम नही ,माता पिता भी देते हैं
पत्नी बच्चों की शहादत पर मन व्यथित होता है
आंखे नम कर इस शहादत को हम नमन करते है
सत सत नमन इन वीरों को ,ओज से परिपूर्ण सुंदर सृजन ,सादर नमस्कार
जी हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteदेश के वीरों के सम्मान में सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteबहुत सार्थक लेखन आक्रोश के साथ।
ReplyDeleteसैनिकों के सम्मान में शानदार लेखन ।
धन्यवाद सखि
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