Wednesday, April 22, 2020

मन

चेतन और अवचेतन मन

चेतन अरु अवचेतना ,रखे भिन्न आयाम ।
जाग्रत चेतन जानिये ,अवचेतन मन धाम।।

पंच तत्व निर्मित जगत,चेतन जीवन सार ।
अवचेतन मन साधना ,पूर्ण सत्य आकार ।।

तर्क शक्ति अरु भावना,नींव पड़े व्यवहार ।
सोच सकारात्मक रखें,यही सत्य आधार ।।

दोनों का अस्तित्व ही ,है जीवन का सार ।
दूर करें पाखंड जो ,मन हो एकाकार।।

16 comments:

  1. पंच तत्व निर्मित जगत,चेतन जीवन सार ।
    अवचेतन मन साधना ,पूर्ण सत्य आकार ।।
    वाह!!!!
    लाजवाब..

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  2. बेहतरीन रचना सखी!

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  3. बहुत सुन्दर।
    धरा दिवस की बधाई हो।
    सुप्रभात...आपका दिन मंगलमय हो।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

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    1. आ0 रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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  5. वाह !बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी
    सादर

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    1. हार्दिक आभार नामराशि

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  6. बहुत सुंदर

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  7. जी हार्दिक आभार

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मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...