दोहावली
***
माटी मेरे देश की,इस पर है अभिमान।
तिलक लगा कर भाल पर,करते हैं सम्मान।।
इस माटी में जन्म ले काम इसी के आय।
वतन पर जो मर मिटे,जीवन सफल कहाय।।
रक्त शहीदों का बहा,माटी है अब लाल।
कब तक होगी ये दशा,माटी करे सवाल।।
पूजें माटी खेत की,करके कर्म पवित्र।
मान बढ़े भू पुत्र का ,करें यत्न सब मित्र ।।
अंकुर निकले बीज से ,दे ये अन्न अपार।
माटी गुण की खान है,औषध की भरमार।।
कच्ची माटी के घड़े ,सोच समझ कर ढाल।
उत्तम बचपन जो गढ़ो ,उन्नत होगा काल।।
माटी को बाँधे जड़ें ,रोके मृदा कटाव ।
स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव।।
अनिता सुधीर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-04-2020) को "मुस्लिम समाज को सकारात्मक सोच की आवश्यकता" ( चर्चा अंक-3672) पर भी होगी। --
ReplyDeleteसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आ0 स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDelete