Monday, April 6, 2020

महावीर जयंती



कविता
छंदमुक्त
***
अज्ञानता का अंधकार जब छाया था संसार में
ज्ञान का प्रकाश फैलाया चौबीसवें तीर्थंकर ने ।
जन्म पूर्व माँ त्रिशला को स्वप्न में आभास हुआ
राजा सिद्धार्थ ने स्वपनों को यथा परिभाष किया।
साधना ,तप ,अहिंसा से, सत्य से साक्षात्कार किया
महापुरुष महावीर ने जनजीवन को आधार दिया  ।
जैन  धर्म को पंचशील का सिद्धांत  बतलाया
सत्य,अहिंसा,अपरिग्रह,अस्तेय, ब्रह्मचर्य सिखाया ।
बारह महत्वपूर्ण वचनों से था भिज्ञ करवाया
'जियो और जीने दो' का अर्थ था समझाया ।
शत्रु कहीं बाहर नही ,भीतर ही विराजमान है
क्रोध ,घृणा ,लोभ अहम  से लड़ना सिखाया ।
स्वयं को जीतना ही श्रेयस्कर है ,समझाया
क्षमा और प्रेम के महत्व  का पाठ पढ़ाया ।
आत्मा सर्वज्ञ और आनंद पूर्ण है ,
शांति और आत्मनियंत्रण ही महत्वपूर्ण है ।
अलग कहीं न पाओगे प्रभु के अस्तित्व को
सही दिशा में प्रयास कर पा जाओ देवत्व को ।
शेर और गाय अब  एक ही घाट पानी पियें
आओ मानवता  का दीप हम प्रज्वलित करें।
आज के समय की  भी यही पुकार  है
तीर्थंकर के संदेशों को आत्मसात कर जीवन सफल करें।
उनके वचनों का पालन करने का व्रत  लेते है
महावीर जयंती पर शत शत नमन करते हैं ।

अनिता सुधीर

6 comments:

  1. अनुपम कृति, महावीर जयंती के उपलक्ष्य में👌👌👌

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  2. उत्कृष्ट रचना महावीर जयंती के अवसर पर

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  3. आ0 हार्दिक आभार

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