Friday, April 24, 2020

ध्यान


ध्यान

आदि सृष्टि में मूल ओंकार
कल्याण भाव का अर्थ निहित

स्थूल जगत के सूक्ष्म मनुज कण
वृहद ब्रहमांड समाये हुए
पंच तत्व से बना शरीरा
अनगिन रहस्य छिपाये हुए
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रहाण्ड समस्त समाहित
आदि सृष्टि में मूल ओंकार
कल्याण भाव का अर्थ निहित।

निसृत ध्वनी होती श्वासों से
प्रणव बोध के अवयव जानें
नौ नादों की योग भूमियाँ
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव मानें
अन्तर्मन में ध्यान लगा के
प्रणव स्फुरण अति बल अवगाहित
आदि सृष्टि का मूल ओंकार
कल्याण भाव का अर्थ निहित।

शून्य विचारों को करके जब
बहिर्जगत से नाता तोड़ा
पक्षी कलरव की आवाजें
सागर तट से बंधन जोड़ा
मिश्रित ध्वनि जो उद्भव अंतस
गतिशील गंगा से प्रवाहित
आदि सृष्टि का मूल ओंकार
कल्याण भाव में अर्थ निहित।

अनिता सुधीर आख्या




12 comments:

  1. यथोचित समसामयिक शब्द-चित्रण/विचारधारा ...

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-04-2020) को     शब्द-सृजन-18 'किनारा' (चर्चा अंक-3683)    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आ0 रचना को स्थान देने के लिये हार्दिक आभार

      Delete


  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन ,सादर नमन

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर भाव सृजन सखी ।
    आध्यात्मिक रचना ।
    सुंदर।

    ReplyDelete

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...