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अब आत्म बोध का हो विचार।
सुन मातु भारती की पुकार।।
बलिदान कृत्य से अमर आज
हम चुका सकें उनका उधार।।
बस ऐसे ही बैठे बैठे एक गीत विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...
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