Thursday, March 3, 2022

प्रीत हिंडोला

 *प्रीत हिंडोला*


उर जलधि में कर हिलोरें

प्रेम फलता-फूलता सा


रश्मि रथ पर पग सँभारे

भोर नटखट-सी उतरती

कुनमुनी सी गुनगुनाहट

साज बन कर अब चहकती

प्रीत हिंडोले लहर में

हिय कुसुम कुछ झूलता सा।।


तोड़ नीरवता विपिन भी

ले मलय सौरभ विचरता

लालिमा से अर्घ्य ले कर

फिर हृदय उपवन निखरता

हो तरंगित नाचता मन 

कालिमा को भूलता सा।।


सप्त रंगों को सजोये

श्वेत अम्बर मुग्ध है अब

आगमन नव बौर का हो

नींद व्याकुल स्निग्ध है अब

उर प्रतीक्षा में धड़कता

जो रहा था सूखता सा।।



अनिता सुधीर आख्या

18 comments:

  1. अति सुंदर एवं भावपूर्ण पंक्तियाँ 💐💐💐💐🙏🏼

    ReplyDelete
  2. अत्यंत सुंदर🙏

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर प्यारे भावों वाली कोमल सी रचना।
    धरती की नागरिक: श्वेता सिन्हा

    ReplyDelete
  4. बौर के मौसम की स्निग्धता को लुटाती सुंदर पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  5. हार्दिक आभार आ0

    ReplyDelete
  6. हार्दिक आभार आ0

    ReplyDelete

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

 राम नवमी की  हार्दिक शुभकामनाएं दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार। आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।। बसी राम की उर में मूरत  मन अम्बर कुछ ड...