Saturday, November 2, 2019

हमारे त्यौहार और रीति रिवाज में एक सार्थक संदेश है ।आवश्यकता है इसके मूल भाव को समझने की ,ना कि अंधविश्वास में पड़ने की।
छठ का यही सार है


जीवनदायिनी नदी को पूजने का संदेश
धर्म ही नहीं ,जड़ों से जुड़ने का संदेश
उगते और डूबते सूरज को अर्घ्य दे
सांस्कृतिक विरासत,समानता का संदेश
देते है ,रीति रिवाज और त्यौहार विशेष

2 comments:

आओ कान्हा ..लिए तिरंगा हाथ

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं गीत कहां छुपे तुम बैठ गए हो,हे गोकुल के नाथ। आन विराजो सबके उर में,लिए तिरंगा हाथ।। ग्वाल बाल के अंतस में दो,द...