Wednesday, November 27, 2019

साथ जो हमने किये थे रतजगे
दिलजलों के अनकहे भी खूब थे ।

ख़्वाब पलकों पर सजाते जो रहे
इश्क़ तेरे फलसफे भी खूब थे ।

अश्क़ जो आखों से उस रोज बहे थे
बादल उस दिन बरसे भी खूब थे ।

अलग राहों पर कदम निकल पड़े है
दरमियां हमारे फासले भी खूब थे ।

जी रहे तन्हाई में कैसे है हम
आप के तो कहकहे भी खूब थे ।


No comments:

Post a Comment

महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं घुड़कियाँ घर के पुरुष की तर्क लड़ते गोष्ठियों में क्यों सदी रो कर गुजारी अब सभा चर्चा करे यह क्यों पुरु...