Tuesday, November 19, 2019

पुरुष
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पुरुषों को बड़ी आसानी से हम दोष दे देते है
माँ बेटी बहन तुम्हारे घर में, नही कह देते है ।

क्या कहोगे,नारी ही नारी की दुश्मन बन जाए
बाग का माली ही कलियों का भक्षक बन जाए।

नारी होकर जब नारी का मर्म समझ न पायी
कर सारे कृत्य घिनौने ,क्या तुम्हें शर्म न आयी ।

सारी नारी जाति को शर्मिंदा कर के रख दिया
सीता दुर्गा के देश मे ये नंगा खेल रच दिया ।

समाज कहाँ जा रहा,क्या है परिवार के मायने
अब कौन कहाँ सुरक्षित है,यक्ष प्रश्न है सामने ।

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