Thursday, November 7, 2019




चुभता प्रश्न


आध्यात्मिक गुरु के
प्रवचन का माहौल था ।
मोक्ष ,मुक्ति जैसे गूढ़ विषयों
पर  चर्चाओं का दौर था ।
जीवन में आनंद के
कुछ गुर सिखा रहे थे ।
संभ्रांत लोगो का जमावड़ा
माहौल को गंभीर बना रहा था ।
तयशुदा  लोग तयशुदा प्रश्न
पूछ रहे थे ।
उनके गूढ़ जवाब ,कुछ समझ में,
तो कुछ समझ से परे थे ।
हमने भी
....…एक सरल सा प्रश्न  उनसे पूछ लिया
अगर आपका पाठ और विधि
इतनी महान
तो इस पर इतना भारी शुल्क क्यों?
क्या इसी से देश विदेश मे
आश्रम बनवाते है !
या पाँच सितारा होटल की
सुविधा अपनी कुटिया में पाते हैं!
ये ज्ञान आम जनता तक
 मुफ्त  में   बांटिए
समाज के हर तबके तक पहुँचा
दूषित मन को शुद्ध  करिये।
...ऐसे प्रश्न की उम्मीद
शायद किसी को नहीं होगी
माहौल मे सन्नाटा छा गया
सब मुझको ताक रहे थे,
वो नजरों से वार कर रहे थे.
प्रश्न  बहुत ही सीधा था,
पर जवाब उनके लिए टेढ़ा था...
 चुभता प्रश्न था  और ।
तीर निशाने पर लगा था ।

3 comments:

  1. जी सादर धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब ... अच्छी व्यंग रचना है ...
    ऐसे प्रश्नों के जवाब नहीं देते हैं ये लोग ...

    ReplyDelete

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...