Monday, November 11, 2019


तमस

क्यों पिघल रहा विश्वास
क्यों धूमिल हो रही आस
कैसा फैला ये तमस
चहुँ और त्रास ही त्रास ।

कोने में सिसक रही कातरता से
मानवता जकड़ी गयी दानवता से
राह दुर्गम ,कंटको से है रुकावट
जन जन शिथिल हो गया थकावट से।

संघर्ष कर तू आत्मबल से
जिजीविषा को रख प्रबल
भोर की तू आस रख
सत्य मार्ग पर हो अटल ।

आंधियों मे भी जलता रहे
दीप आस की जलाए जा
मन का तमस दूर कर
उजियारा तू फैलाए जा ।

7 comments:

  1. जी सादर अभिवादन

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  2. बेहद हृदयस्पर्शी रचना

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  3. अंधेरे से उजाले को अग्रसर करती सार्थक संदेशात्मक रचना ।
    बहुत सुंदर सखी।

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  4. मन का दीप जले तो तमस ख़त्म हो जाती है ...
    आशा जरूरी है साथ ...
    लाजवाब भावपूर्ण रचना ...

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    1. आप की स्नेहिल वचन के लिए हार्दिक आभार आ0

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