Saturday, November 23, 2019



212  212  212  212
काफिया   आ
रदीफ़      मिल गया
***
इश्क़ की राह में बेवफा मिल गया,
जिंदगी को नया मशविरा मिल गया ।

छोड़ के चल दिये यों अकेले मुझे ,
आपको साथ क्या अब नया मिल गया।

याद फिर आपकी आज आने लगी ,
जख्म फिर इक पुराना खड़ा मिल गया ।

भूल पाते नहीं आपको हम कभी ,
प्यार का ये मुझे क्यों सिला मिल गया ।

टूटते ख्वाब की ये कहानी रही ,
रात फिर आज कुछ अनकहा मिल गया।

रूबरू जो हुये हम खुदी से अभी,
चाहतों का नया सिलसिला मिल गया।

अनिता सुधीर

4 comments:

  1. वाह वाह शानदार गज़ल अनीता जी..।
    हर शेर बेहद उम्दा है।
    एक विनम्र आग्रह है आपसे कृपया उर्दू शब्दों मेंं नुक्ता का प्रयोग भाषा की शुद्धता और सुंदरता के लिए अवश्य करें।
    सादर।

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    Replies
    1. आ0 आप की प्रशंसा के लिए आभार ,कृपया मार्गदर्शन करें और सुधार करें ,गजल की अभी कोशिश कर रहे

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  2. बहुत खूब ...
    अच्छी ग़ज़ल हुयी है ... दाद कबूल फरमाएं ...

    ReplyDelete

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