लघु कथा
नीता- (सुमन से) हर समय घर में रहती हो, चलो मेरे साथ आज तुम्हें किटी पार्टी में ले चलते हैं। तुम भी ज्वाइन कर लेना।
सुमन- नीता, मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकती।
रोहन स्कूल से आने वाला ही होगा, मेरा समय उसके साथ ही बीत जाता है, पढ़ाई भी मैं ही देखती हूँ और आजकल तो परीक्षा भी चल रही है।
नीता- तुम उसकी ट्यूशन क्यों नहीं रख देती। देखो, मैंने प्रतीक को ट्यूशन क्लासेस ज्वाइन करवा रखी हैं, परीक्षा की तैयारी भी वो लोग करवा देते हैं और मैं इन सब झंझट से मुक्त रहती हूँ।
(नीता और सुमन दोनों ही अच्छी दोस्त हैं और दोनों के बच्चे आठवीं कक्षा में एक साथ ही पढ़ते हैं)
परीक्षा परिणाम देख कर
नीता- प्रतीक (डांटती हुई), यह तुम्हारे इतने कम नंबर क्यों आए हैं! तुम्हारी तो मैंने ट्यूशन भी लगवा रखी है, इतना पैसा तुम्हारे ऊपर खर्च करते हैं, रोहन को देखो, बिना ट्यूशन के भी उसके कितने अच्छे नंबर आए हैं। तुम पढ़ने जाते हो या घूमने!
सुमन- अब बस भी करो नीता। मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, एक दोस्त का कर्तव्य होता है कि वो अपने दोस्त को सही मार्ग दिखाए। मैं कई दिनों से देख रही कि तुम्हारा ध्यान प्रतीक और घर में नहीं है। तुम इतनी पढ़ी-लिखी हो, तुम प्रतीक को खुद ही पढ़ा सकती हो फिर तुमने उसकी ट्यूशन क्यों लगा रखी है। उसके घर आने के बाद तुम आए दिन बाहर चली जाती हो, केवल ट्यूशन लगाने से तुम्हारी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती। इस नाजुक उम्र में बच्चों को माता-पिता के समय और प्यार की भी आवश्यकता होती है। समाज में देखो, आजकल कोई न कोई खबर सुर्खियों में रहती है। अपने बच्चे की दोस्त बन कर उसके साथ रहो और पढ़ाई में उसकी मदद करो। जब तुम उसे समय दोगी तो वो अपनी परेशानियाँ तुम्हें बताएगा और तुम समाधान कर पाओगी, अन्यथा वो पता नहीं किससे कहे और भगवान न करे, किसी गलत साथ में पड़ जाए।
नीता- (पश्चाताप से) सुमन, तुम्हारे जैसे दोस्त किस्मत वालों को मिलते हैं, मेरी दोस्त ने मुझे अपने बेटे का दोस्त बना हमें सही मार्ग दिखाया है।
अनिता सुधीर
चित्र गूगल से
अत्यंत सटीक एवं प्रेरणा दायक लघु कथा 💐💐💐
ReplyDeleteसार्थक लघु कथा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लघु कथा
ReplyDeleteअत्यंत सटीक, सार्थक लघुकथा🙏
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