महापर्व शिवरात्रि में, रात मिलन अध्यात्म की।
कृष्ण चतुर्दश फाल्गुनी, प्रकृति-पुरुष एकात्म की।।
पंच तत्व का संतुलन,यह शिवत्व आधार है।
वैरागी को साधना, ही जीवन का सार है।।
प्रकटोसव शिवरात्रि में, ऊर्जा का संचार है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग में, निराकार साकार है।।
शिव गौरा के ब्याह की, आज मनोरम रात में।
आराधन में लीन हो, भीगें भक्ति प्रपात में।।
सृष्टि रचयिता रुद्र का, तीन लोक अधिपत्य है।
महाकाल हैं काल के, शिवं सुंदरं सत्य है।।
औगढ़ योगीराज का, आदि अंत अज्ञात है।
तांडव नृत्य त्रिनेत्र का, सकल अर्थ विख्यात है।।
आत्मजागरण पर्व की, महिमा अपरंपार है।
नीलकंठ के अर्थ में, जगत श्रेष्ठ व्यवहार है।।
शंकर गौरा साथ में, और भाव वैराग्य भी।
गुण विरोध में संतुलन, यही मनुज सौभाग्य भी।।
नाड़ी तीन प्रतीक हैं, शंकर हस्त त्रिशूल के।
दैहिक भौतिक ताप हर, निष्कंटक जग मूल में।।
राख चिता की गात जो,भस्म जीव का साथ है।
भाव शुद्धता का लिए, बाबा भोलेनाथ हैं।।
बिल्वपत्र अक्षत चढ़ा,करिए व्रत उपवास सब।
कैलाशी को पूज कर, जीवन करें प्रभास सब।।
अनिता सुधीर आख्या
अत्यंत उत्कृष्ट एवं भक्तिभाव समाहित छंद सृजन 💐💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteहर-हर महादेव 🙏🏼🙏🏼
हार्दिक आभार आ0
Deleteहर हर महादेव🙏
ReplyDeleteअतीव सुंदर💐
अत्यंत सुंदर उल्लाला छंद सृजन🙏🙏जय श्री महाकाल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteभक्तिभाव से परिपूर्ण बहुत सुंदर सृजन 👌👌👌❤❤❤ हर हर महादेव 🙏🙏💐💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
DeleteWah,har har Mahadev ! Bholenath sab par kripa karen.
ReplyDeleteबहुत खूब हर हर महादेव
ReplyDeleteगूढ़ भाव। अद्भुत
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteअत्यन्त सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Delete