Sunday, February 13, 2022

ग़ज़ल

 आप की नजरें इनायत हो गयी

आप से मुझको मुहब्बत हो गयी।


इश्क़ का मुझको नशा ऐसा चढ़ा 

अब जमाने से अदावत हो गयी ।


तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला

यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।


ये  नजर करने लगी  शैतानियां

होश खो बैठे  कयामत हो गयी।


जिंदगी सँग आप के गुजरा करे

सात जन्मों की हकीकत हो गयी।


अनिता सुधीर

15 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (14-02-2022 ) को 'ओढ़ लबादा हंस का, घूम रहे हैं बाज' (चर्चा अंक 4341) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. बेहतरीन ग़ज़ल🙏

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  3. बहुत बहुत सुन्दर गज़ल

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  4. बेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 💐💐

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  5. बहुत अच्छी गज़ल।

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  6. वाह!!!!
    बहुत ही सुन्दर गजल
    लाजवाब।

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  7. धन्यवाद ज्योति जी

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