आप की नजरें इनायत हो गयी
आप से मुझको मुहब्बत हो गयी।
इश्क़ का मुझको नशा ऐसा चढ़ा
अब जमाने से अदावत हो गयी ।
तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला
यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।
ये नजर करने लगी शैतानियां
होश खो बैठे कयामत हो गयी।
जिंदगी सँग आप के गुजरा करे
सात जन्मों की हकीकत हो गयी।
अनिता सुधीर
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (14-02-2022 ) को 'ओढ़ लबादा हंस का, घूम रहे हैं बाज' (चर्चा अंक 4341) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बेहतरीन ग़ज़ल🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर गज़ल
ReplyDeleteधन्यवाद आ0
Deleteबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद दीप्ति जी
Deleteवाह! बहुत खूब
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteबहुत अच्छी गज़ल।
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गजल
लाजवाब।
हार्दिक आभार आ0
Deleteसुंदर ग़ज़ल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteधन्यवाद ज्योति जी
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