आया दौर चुनाव का ,नेताओं की रार ।
लगा दाँव पर अस्मिता ,करते हैं व्यापार।
निम्न कोटि के हो रहे ,नेताओं के बोल,
मूल्यों को रख ताक पर,बिका करें बिन मोल।
नायक जनता के बनें,करिए दूर विकार ।
अपने हित को त्यागिये,रखिए शुद्ध विचार।
याद करें संकल्प ये ,देश प्रेम आधार ।
आया ..
जाति धर्म निज स्वार्थ दे,गद्दारी का घाव ।
देश भक्ति ही धर्म हो ,रखे एकता भाव।
जन जन की वाणी बनो,अमर देश का नाम,
राजनीति को अब मिले ,एक नया आयाम।
भारत के निर्माण में ,बहे एकता धार ।
आया ...
युग ये कैसा आ गया ,चरण वंदना धर्म।
झूठे का गुणगान ही ,बनता जीवन कर्म ।
अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत ।
देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।
सच्चाई की राह पर,रुको नहीं थक हार ।
आया..
अनिता सुधीर
अपने हित को साधिये, सदा देश उपरांत🙏🙏
ReplyDeleteअत्यंत सटीक एवं प्रभावशाली सृजन 💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteसटीक कटाक्ष
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteसटीक
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबिल्कुल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteराजनीति को अब मिले ,एक नया आयाम।
ReplyDelete–कुर्सी कुछ ऐसी है जिससे चिपकते ही राग बदल जाता है
°°
भारत के निर्माण में ,बहे एकता धार ।
–पता नहीं ऐसा कब होगा
°°
उम्दा रचना
हार्दिक आभार आ0
Deleteसच को उजागर करती सटीक रचना
ReplyDeleteवाह
हार्दिक आभार आ0
Deleteहार्दिक आभार आ0
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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