आलोकित है जग सारा,बहती भावों की धारा।
श्रद्धा के मोती चुनकर,करते शृंगार तुम्हारा।।
जीवन का ताना बाना,सुख-दुख का जाना-आना।
रो-रो कर दिन क्यों काटें,दुख हँस कर सहते जाना।।
आती है जब कठिनाई, हो जाता जीवन खारा ।
थामे तुम हाथ बढा के, देते हो सदा सहारा ।।
आलोकित है ..
जग के पालनहारे तुम ,हम सबके रखवारे तुम ।
प्रेम सुमन अर्पित करते, दूर करो अँधियारे तुम।।
नाव फँसी तूफानों में, अब मिलता नहीं किनारा
अन्तर्मन में दीप जला, भर दो मन में उजियारा ।।
आलोकित है....
सच्चाई की बोली से ,सत्कर्मों की झोली से।
नफरत द्वेष मिटा मन से,हृदय भरो रंगोली से।।
साथ भला क्या जाएगा ,छूटे गलियाँ चौबारा ।
पंछी छोड़े तन पिँजरा ,मानव जीवन बंजारा ।।
आलोकित है ....
अनिता सुधीर
सुंदर,बहुत ही सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteह्रदय तम को आलोकित करती भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत सुंदर गीत🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteअद्भुत, अनुपम
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteआलोकित है जग सारा। गुरु की महान कृपा
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteअत्यंत उत्कृष्ट एवं सुंदर संदेश देती हुई गीत रचना 💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Delete,जीवन का तना बना ।सुख दुःख है आना जाना।। साईं की कृपा से सब सहजता से व्यतीत हो जाता है ।। अतिसुंदर लेखन
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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