कुंडलिया छन्द
।१।
सहता रहता त्रासदी ,श्रम का यह भगवान।
हाड़ मांस का तन बना,करता कार्य महान।।
करता कार्य महान, देश की सेवा करता ।
मिला नहीं अधिकार, सदा तिल तिल कर मरता।।
करे भवन निर्माण , स्वेद कण पल पल बहता।
वृक्ष तले है ठाँव, ताप जीवन का सहता ।।
।२।
नेता सब वादे करें,पूरी करें न बात।
उचित मूल्य इनको मिले,तब सुधरे हालात।।
तब सुधरे हालात,चले श्रमिकों का खर्चा।
शोषण का इतिहास,सदा चलती है चर्चा ।।
इन्हें मिले सम्मान ,रहें ये सदा विजेता ।
श्रमिक नहीं मजबूर,सुनो अब सारे नेता ।।
अनिता सुधीर आख्या
चित्र गूगल से साभार
उत्तम
ReplyDelete💐💐
Deleteसटीक, सार्थक छंद ...
ReplyDeleteकुंडलियों में कही बात गहरा असर करती है...
हार्दिक आभार आ0
Deleteअत्यंत सटीक एवं प्रभावशाली कुण्डलिया 💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसामयिक और यथार्थवादी चिंतन से परिपूर्ण उत्कृष्ट कुंडलियां ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत खूब🙏🙏🙏उत्कृष्ट कुंडलिया
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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