Wednesday, February 9, 2022

मृगनयनी

चित्र गूगल से साभार

 मृगनयनी


प्रेम रूप की श्वेत हंसिनी

लगे भोर की अरुणाई


चंचल-चपला सी मृगनयनी

चाल कुलांचे भूल चली

हौले-हौले कदम साध के

शांत चित्त की खिली कली

झुके नयन में लाज भरे जब 

प्रीति पंखुड़ी गहराई।।


श्याम केश के अवगुंठन से

चाँद रूपिणी जब झाँके

अधरों का उन्माद धैर्य धर

पुष्प सितारे वह टाँके

स्निग्ध मुग्धता शीत चाँदनी

शुद्ध नीर-सी तरुणाई ।।


प्रेम मूर्ति की सुंदरता में

नहीं जलधि का शोर रहे

राग लावणी अंग सजा के

शीतल से उद्गार बहे

रमणी को परिभाषित करने

मर्यादा वो ठहराई।।


अनिता सुधीर

16 comments:

  1. अद्भुत एवं सुंदर रचना 🌷🌺🌺

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  2. बहुत सुंदर सराहनीय रचना ।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी

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  3. बहुत सुंदर सौन्दर्य गीत दीदी 🙏🙏💐💐❤❤

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  4. ऋंगार रस में डूबी सुंदर रचना …

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  5. सादर आभार आपका आ0

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