परीक्षा
रूप घनाक्षरी
कितने ही प्रकार से जीवन परीक्षा लेता
जीत सदा होती कब,कभी मिलती है हार।
दुखी कभी होना नहीं, छोड़ दें अवसाद को
परीक्षा को पर्व मान, करें सदैव सत्कार।।
कर्म पथ हो अडिग, हर पल निडर हो
जो भी परिणाम आये, उसको ले अँकवार।
श्रेष्ठ अपना दीजिये धीरज वरण कर,
सबके प्रश्न भिन्न हैं ,यही जीवन का सार।।
अनिता सुधीर
👍🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 03 अप्रैल 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteसबके प्रश्न भिन्न हैं
ReplyDeleteयही जीवन का सार
...तदनुसार उत्तर करो तैयार !
पते की बात !
हार्दिक आभार आ0
Deleteउत्तम संदेश
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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