Saturday, March 7, 2020

औरतें

ये खामोश ,मूक  औरतें
ख्वाहिशों का बोझ ढोते
सदियों से वर्जनाओं मे जकड़ी
परम्पराओं और रुढियों
की बेड़ियों मे बंधी
नित नए इम्तिहान से गुजरती
हर पल  कसौटियों पर परखी जाती
पुरुषों के हाथ का खिलौना बन
बड़े प्यार से अपनों से ही छली जाती
बिना अपने पैरों पर खड़े
बिना रीढ़ की हड्डी के,
ये अपने पंख पसारती
कंधे से कंधा मिला कर चलती
सभी जिम्मेदारियाँ निभाती
खामोशी से सब सह जाती
आसमान से तारे तोड़ लाने
की हिम्मत रखती है
तभी नारी वीरांगना कहलाती है ।
ये क्या एक दिन की मोहताज है..
नारी !गलती  तो तुम्हारी है
बराबरी का अधिकार माँग
स्वयं को तुम क्यों कम आँकती
तुम पुरुष से श्रेष्ठ हो
बाहुबल मे कम हो भले
बुद्धि ,कौशल ,सहनशीलता
मे श्रेष्ठ हो तुम
अद्भुत अनंत विस्तार है तुम्हारा
पुष्प  सी कोमल हो
चट्टान सी कठोर हो
माँ  की लोरी ,त्याग मे हो
बहन के प्यार में हो
पायल की झंकार हो तुम
बेटी के मनुहार मे हो
नारी !नर तुमसे है
सृजनकारी हो तुम
अनुपम कृति हो तुम
आत्मविश्वास से भरी
अविरल निर्मल हो तुम
चंचल चपला मंगलदायिनी हो तुम
नारी !वीरांगना हो तुम।
©anita_sudhir

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 07 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आ0 हार्दिक आभार

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन बहना. क्योंकि यह मासूम है प्रकृति की तरह भरपूर देती है और देने में ही विश्वास करती है. छलने वाले नादान है...
    सादर स्नेह

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  4. रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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  5. नारीत्व की महिमा के संदर्भ में कहा गया है कि नारी प्रेम ,सेवा एवं उत्सर्ग भाव द्वारा पुरुष पर शासन करने में समर्थ है। वह एक कुशल वास्तुकार है, जो मानव में कर्तव्य के बीज अंकुरित कर देती है। यह नारी ही है जिसमें पत्नीत्व, मातृत्व ,गृहिणीतत्व और भी अनेक गुण विद्यमान हैं। इन्हीं सब अनगिनत पदार्थों के मिश्रण ने उसे इतना सुंदर रूप प्रदान कर देवी का पद दिया है। हाँ ,और वह अन्याय के विरुद्ध पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष से भी पीछे नहीं हटती है। अतः वह क्रांति की ज्वाला भी है।नारी वह शक्ति है जिसमें आत्मसात करने से पुरुष की रिक्तता समाप्त हो जाती है।
    सृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति को मेरा नमन।

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    1. आ0 आपके स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार

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  6. नारी !गलती तो तुम्हारी है
    बराबरी का अधिकार माँग
    स्वयं को तुम क्यों कम आँकती
    तुम पुरुष से श्रेष्ठ हो
    बाहुबल मे कम हो भले
    बुद्धि ,कौशल ,सहनशीलता
    मे श्रेष्ठ हो तुम
    अद्भुत अनंत विस्तार है तुम्हारा
    वाह!!!!
    बहुत लाजवाब...
    ये बात समझकर भी घर परिवार की खुशी के खातिर सब सहती हैं औरते।

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    1. बहुत बहुत आभार आ0 सखी

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