नव संवत नव वर्ष
मुक्तक
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चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,ये हिन्दू नववर्ष।
नव संवत प्रारंभ है ,हो जीवन में हर्ष ।।
नाम 'प्रमादी' वर्ष में ,बनते 'बुध' भूपाल,
मंत्री बन कर चंद्रमा,करे जगत उत्कर्ष ।।
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गुड़ी ,उगाड़ी पर्व अरु,भगवन झूले लाल।
नौ दिन का उत्सव रहे ,नव संवत के साल।।
रचे विधाता सृष्टि ये ,प्रथम विष्णु अवतार ,
सतहत्तर नव वर्ष में ,उन्नत हो अब काल।।
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नौरातों में प्रार्थना ,माँ आओ उर धाम ।
करे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
कृपा करो वरदायिनी,पूरे मङ्गल काम ।।
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धर्म ,कर्म उपवास से ,बढ़ता मन विश्वास।
अन्तर्मन की शुद्धता ,जीवन में उल्लास।।
पूजें अब गणगौर को ,मांगे अमर सुहाग,
छोड़ जगत की वेदना,रखिये मन में आस।।
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कली ,पुष्प अरु मंजरी,से सुरभित संसार ।
कोयल कूके बाग में ,बहती मुग्ध बयार ।।
पके अन्न हैं खेत में ,छाये नव उत्साह ,
मधुर रागिनी छेड़ के,धरा करे श्रृंगार ।।
अनिता सुधीर आख्या
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteमाँ जगदम्बा की कृपा आप पर बनी रहे।।
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घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें
जी आ0 हार्दिक आभार
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