कुंडलिया
त्रेता, द्वापर प्रभु लिये ,राम ,कृष्ण अवतार।
कलयुग में अब "कल्कि" बन,करो दुष्ट संहार ।
करो दुष्ट संहार ,दनुजता दूर भगाओ ।
हुई धर्म की हानि,मनुजता फिर से लाओ।
लिये कल्कि अवतार,बनें स्वयं युग प्रचेता ।
जन जीवन मुस्कान,यही युग होगा त्रेता ।
2)
क्रंदन अन्तरमन करे ,देख क्रूर व्यवहार,
जलती रहती बेटियाँ,देवी रुप अवतार ।
देवी रुप अवतार ,कोख में मारी जाती।
सहती कितने कष्ट,न्याय की आस लगाती।
बेटी कुल की मान ,करें सब इनका वंदन ।
इन्हें मिले अधिकार,नहीं हो हिय में क्रंदन।
©anita_sudhir
त्रेता, द्वापर प्रभु लिये ,राम ,कृष्ण अवतार।
कलयुग में अब "कल्कि" बन,करो दुष्ट संहार ।
करो दुष्ट संहार ,दनुजता दूर भगाओ ।
हुई धर्म की हानि,मनुजता फिर से लाओ।
लिये कल्कि अवतार,बनें स्वयं युग प्रचेता ।
जन जीवन मुस्कान,यही युग होगा त्रेता ।
2)
क्रंदन अन्तरमन करे ,देख क्रूर व्यवहार,
जलती रहती बेटियाँ,देवी रुप अवतार ।
देवी रुप अवतार ,कोख में मारी जाती।
सहती कितने कष्ट,न्याय की आस लगाती।
बेटी कुल की मान ,करें सब इनका वंदन ।
इन्हें मिले अधिकार,नहीं हो हिय में क्रंदन।
©anita_sudhir
लाजवाब सखी बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआप के स्नेह के लिये आभार सखी
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