वर्ण नाचते झूम झूम के
देखो ता ता थैया
भाव बुलाते ताल बजा के
गीत लिखो अब भैया ।
खड़ी रात की दीवारें हैं
पड़ा सूर्य पर गरदा
शोर मचाता श्वान चीख के
फटा कान का परदा
दृश्य कौंधता उस मरघट का
नहीं मिली जब शैया
कैसे रच दूँ गीत अनोखा
तुम्हीं बताओ भैया।।
काल खंड की प्रस्तर मूरत
बहती दृग से सरिता
बड़ी उम्र से सूनी सड़कें
कौन रचेगा कविता
गीत रचा तू प्राण फूँक दे
बाट जोहती मैया।।
कैसे रच दूँ गीत अनोखा
तुम्हीं बताओ भैया।।
सभी जला दें दुख के कंबल
तमस हृदय को चिरता
चाँद कला की कारागृह अब
देख!रुपैया गिरता
मेघ छँटे उर विश्वास जगा
मोर नाचते छैया।।
नवल धवल हो सुखद सबेरा
तभी लिखूंगा भैया।।
वर्ण नाचते झूम झूम के
देखो ता ता थैया
भाव बुलाते ताल बजा के
गीत लिखो अब भैया ।
©anita_sudhir
बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...
जी हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteघर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें।
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आ0 सादर अभिवादन
Deleteआपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं