Saturday, March 14, 2020

कोरोना



कुंडलिया
1)
कोरोना का कोप अब,फैल रहा अविराम।
ग्रसित 'सूक्ष्म' आतंक से,करने लगे प्रणाम।
करने लगे प्रणाम,बनें सब शाकाहारी ।
सामाजिक अभियान,निभायें जिम्मेदारी ।
अपना करें बचाव,बीज संस्कृति के बोना ।
बनें जागरुक आप ,नाश करिये कोरोना ।।
2)
विचलित होते सूरमा,कैसा फैला त्राण।
 कोरोना से हारते , संकट में हैं प्राण ।
संकट में हैं प्राण,करें अब मंथन चिंतन।
उत्तम करें विचार,रहे जीवन प्रद्योतन ।
भारत ऊँचा नाम,हवन है संस्कृति अतुलित।
स्वच्छ रहे अभियान,नहीं हो इससे विचलित ।
3)
कोरोना लक्षण जानिये,सर्दी छींक जुकाम।
श्वसन तंत्र की गड़बड़ी, करती काम तमाम।
करती काम तमाम,बने क्यों अब तक भक्षक।
लौंग पोटली साथ, स्वयं  ही बनिये रक्षक ।
बात नीति की मान,सदा हाथों को धोना ।
इस पर करें प्रहार,जीव नन्हां कोरोना।
4)
दुविधा ऐसी देखिये,बंद पड़ा व्यापार ।
अर्थ व्यवस्था डूबती,मचता हाहाकार।
मचता हाहाकार,काल आपात लगाया।
कोरोना का वार,बंद बाजार कराया ।
चौपट हैं उद्योग,मिलेगी कब तक सुविधा।
करिये नेक उपाय ,खत्म हो सारी दुविधा ।


अनिता सुधीर'आख्या'









7 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (16-03-2020) को 'दंभ के आगे कुछ नहीं दंभ के पीछे कुछ नहीं' (चर्चा अंक 3642) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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  2. सार्थक रचना।
    कभी तो दूसरों के ब्लॉग पर भी अपनी टिप्पणी दिया करो।

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    Replies
    1. जी आ0 देते हैं ,लेकिन वो पब्लिश हो नही पाती है ,अभी मुझे ब्लॉग का अधिक आईडिया नहीं है
      सादर

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  3. कोरोना पर जरुरी सन्देश देता सृजन ,सादर नमन आपको

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