दीपशिखा बनकर सदा जली ,मेरे पथ पर रहा अंधेरा,
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा सुख चैन लुटेरा।
कितने धागे टूटा करते ,सूखे अधरों को सिलने में,
पहर आठ अब तुरपन करते,क्षण लगते कुआं भरने में,
रिसते घावों की पपड़ी से,पल पल बखिया वही उधेरा ,
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा सुख चैन लुटेरा।
पुष्प बिछाये और राह पर,शूल चुभा वो किया बखेरा
दुग्ध पिला कर पाला जिसको,वो बाहों का बना सपेरा ।
पीतल उसकी औकात नहीं,गढ़ना चाहे स्वर्ण ठठेरा
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा सुख चैन लुटेरा।
बन कर रही मोम का पुतला,धीरे धीरे सब पिघल गया
अग्निशिखा अब बनना चाहूँ,कोई मुझको क्यों कुचल गया
अब अंतस की लौ सुलगा कर,लाना होगा नया सवेरा ।
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा था चैन लुटेरा ।
दीपशिखा,....
#हिंदी _ब्लॉगिंग
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा सुख चैन लुटेरा।
कितने धागे टूटा करते ,सूखे अधरों को सिलने में,
पहर आठ अब तुरपन करते,क्षण लगते कुआं भरने में,
रिसते घावों की पपड़ी से,पल पल बखिया वही उधेरा ,
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा सुख चैन लुटेरा।
पुष्प बिछाये और राह पर,शूल चुभा वो किया बखेरा
दुग्ध पिला कर पाला जिसको,वो बाहों का बना सपेरा ।
पीतल उसकी औकात नहीं,गढ़ना चाहे स्वर्ण ठठेरा
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा सुख चैन लुटेरा।
बन कर रही मोम का पुतला,धीरे धीरे सब पिघल गया
अग्निशिखा अब बनना चाहूँ,कोई मुझको क्यों कुचल गया
अब अंतस की लौ सुलगा कर,लाना होगा नया सवेरा ।
लपट बना कर चिंगारी की ,लूट रहा था चैन लुटेरा ।
दीपशिखा,....
#हिंदी _ब्लॉगिंग
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteहोलीकोत्सव के साथ
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की भी बधाई हो।
आ0 सादर अभिवादन
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