हाइकु
हाइकु
दर्पण
1)
धुंधले बिम्ब
अश्रुपूरित नैन
दोष दर्पण
2)
वक़्त दर्पण
संघर्ष प्रतिबिम्ब
कर्म अर्पण ।
3)
बिना प्रकाश
अस्तित्वहीन शीशा
क्यों इतराये ।
4)
शुभचिंतक
दर्पण बन जाते
राह दिखाते ।
5)
सत्य दर्शन
अन्तर्मन दर्पण
हो समर्पण
अनिता सुधीर
बस ऐसे ही बैठे बैठे एक गीत विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...
अति सुन्दर हाइकु
ReplyDelete💐💐
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-01-2022) को चर्चा मंच "कोहरे की अब दादागीरी" (चर्चा अंक-4314) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर अभिवादन आ0
Deleteवाह वाह। दर्पण के अनेकों रूप
ReplyDeleteबढ़िया👍👍
ReplyDeleteसुंदर उद्देश्य पूर्ण हाइकु सखी।
ReplyDeleteआभार सखि
Deleteसुंदर बोध देते हाइकु
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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