Saturday, January 22, 2022

आंकड़े कागजों पर



आँकड़े कागजों पर
खूब फले फूले

बुधिया की आँखों में
टिमटिम आस जली
कोल्हू का बैल बना
निचुड़ा गात खली
कर्ज़े के दैत्य दिए
खूँटी पर झूले।।

गमछे में धूल बाँध
रंग भरे पन्ने
खेतों की मेड़ों पर
लगते हैं गन्ने
झुनझुना है दान का
नाच उठे लूले।।

मतपत्र बने पूँजी
रेवड़ी बाँट कर
फिर बिलखती झोपड़ी
क्यों रही रात भर
जय किसान ब्रह्म वाक्य
की हिलती चूलें।।

अनिता सुधीर

10 comments:

  1. गमछे में धूल बांध, वाह वाह

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 23 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. अत्यंत संवेदनशील सटीक एवं मार्मिक सृजन 💐💐💐💐🙏🏼

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  4. आँकड़े कागजों पर
    खूब फले फूले... .
    सदियों की है रीति पुरानी,
    आज मेरी कल किसी और की बारी!
    हमारे यहाँ हर काम कागज पर हो जाता है!
    ये हमारे हुनरमंद लोगों को दर्शाता है!
    सटीक सृजन!
    साधुवाद..

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  5. बहुत सुंदर कविता।

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