रूह पर जमी बर्फ पिघला देती है..
तुम्हारे हाथों की वो प्यार भरी थपथपाहट
सारे गिले शिकवे मिटा देती है..
शायद ये जानते हो तुम
जानते हो न तुम..
फिर क्यों समेटे रहते हो अपने गर्म हाथ तुम..
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं घुड़कियाँ घर के पुरुष की तर्क लड़ते गोष्ठियों में क्यों सदी रो कर गुजारी अब सभा चर्चा करे यह क्यों पुरु...
बहुत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी 💐💐
ReplyDeleteऐसी बात कही जो दिल को छू गई।
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