नारी का अपमान कर,करते क्यों उपभोग।
विज्ञापन में छाप के ,कैसा करा प्रयोग ।
कैसा करा प्रयोग ,समझते भोग्या उसको।
हुआ पतन जो आज,कहाँ चिंता अब किसको।
सकल सृजन की सार ,वस्तु बनती बेचारी ।
रही धुरी परिवार,प्रेम की मूरत नारी ।
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार। आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।। बसी राम की उर में मूरत मन अम्बर कुछ ड...
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