नारी का अपमान कर,करते क्यों उपभोग।
विज्ञापन में छाप के ,कैसा करा प्रयोग ।
कैसा करा प्रयोग ,समझते भोग्या उसको।
हुआ पतन जो आज,कहाँ चिंता अब किसको।
सकल सृजन की सार ,वस्तु बनती बेचारी ।
रही धुरी परिवार,प्रेम की मूरत नारी ।
कात्यायनी माता के चरणों में पुष्प *** कात्यायन ऋषि की सुता,अम्बे का अवतार हैं। छठे दिवस कात्यायनी, वंदन बारम्बार है।। दानव अत्याचार से,मिला ...
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