अनगढ़ पुरातन काल पाषाण
जीवन था पत्थर पर निर्भर
जली थी अग्नि घर्षण से
मानव दिल में था आकर्षण।
पाषाण से करते आखेट
साधन भरण पोषण का ,
आवश्यकता जीवन यापन
अनगढ़ पुरातन काल पाषाण।
क्या पता गर्भ में !
भविष्य अब यह होगा
अब अग्नि से हुए घृणा पूर्ण कार्य
मानव दिल हुआ पाषाण
बढ़ता हृदय में विकर्षण ।
अब पत्थर से दे रहे आघात
घात लगा निर्बल को
चीखें ,और त्रास ही त्रास
क्यों नहीं पिघलता मानव पाषाण।
दर्द संवेदना लुप्त हो रहीं
व्यथित नहीं,
परपीड़ा से हृदय ।
परिवार अपने में सिमटते हुए ।
पाषाण मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा
भूखे नंगे दम तोड़ते
पाषाण मूर्ति पर सुसज्जित आभूषण
मानव मत बन तू पाषाण
अनगढ़ पुरातन काल पाषाण ।
मत जाओ पुरातन काल
आया एक कालखंड बाद
ये सुविधापूर्ण आधुनिक काल
साध इसे संतुलन ,आकर्षण से
मानव मत बन तू पाषाण
अनगढ़ पुरातन काल पाषाण ।
अनिता सुधीर"आख्या"
#हिंदी_ब्लॉगिंग
जीवन था पत्थर पर निर्भर
जली थी अग्नि घर्षण से
मानव दिल में था आकर्षण।
पाषाण से करते आखेट
साधन भरण पोषण का ,
आवश्यकता जीवन यापन
अनगढ़ पुरातन काल पाषाण।
क्या पता गर्भ में !
भविष्य अब यह होगा
अब अग्नि से हुए घृणा पूर्ण कार्य
मानव दिल हुआ पाषाण
बढ़ता हृदय में विकर्षण ।
अब पत्थर से दे रहे आघात
घात लगा निर्बल को
चीखें ,और त्रास ही त्रास
क्यों नहीं पिघलता मानव पाषाण।
दर्द संवेदना लुप्त हो रहीं
व्यथित नहीं,
परपीड़ा से हृदय ।
परिवार अपने में सिमटते हुए ।
पाषाण मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा
भूखे नंगे दम तोड़ते
पाषाण मूर्ति पर सुसज्जित आभूषण
मानव मत बन तू पाषाण
अनगढ़ पुरातन काल पाषाण ।
मत जाओ पुरातन काल
आया एक कालखंड बाद
ये सुविधापूर्ण आधुनिक काल
साध इसे संतुलन ,आकर्षण से
मानव मत बन तू पाषाण
अनगढ़ पुरातन काल पाषाण ।
अनिता सुधीर"आख्या"
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