Friday, February 21, 2020

शिव शंभु

शिव निराकारी है ,और शंकर साकार रूप लिये हुए। साकार भक्ति  हम सभी कर लेते है 
शिव और शिवत्व को पाना साधना है ।
इस को छन्द के माध्यम से

गोपी  छन्द आधारित मुक्तक
विधान- कुल 15 मात्रा, आदि त्रिकल+द्विकल,
अंत गा पर अनिवार्य और तुकांत

विधाता    ब्रह्मा  जी के लिए
रुद्र       शिव

नाम शिव का जपते रहिये ,
भक्ति शिव की करते रहिये,
लोक त्रिय के स्वामी भोले,
शम्भु शिव दुख हरते रहिये ।

शम्भु,शिव में भेद समझिये
शम्भु को साकार  समझिये ।
रूप की पूजा सरल बड़ी
ज्ञान शिव के लिये  समझिये ।

गले में साँपों की माला,
हाथ में डमरू मतवाला ,
जटा से गंगा उतरी  है,
ओढ़ते हैं मृग की छाला।

उमापति शिव अविरामी है
सत्य शिव सुंदर स्वामी हैं
काल के महाकाल बाबा
जगत के अंतरयामी हैं ।

सृष्टि के निर्माता शिव हैं,
विधाता विष्णु रुद्र शिव हैं,
ज्योति का रूप  धारण करे
ज्ञान के वरदाता शिव हैं।

अनिता सुधीर

11 comments:

  1. सत्यम, शिवम, सुंदरम!!!

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२२-०२-२०२०) को 'शिव शंभु' (चर्चा अंक-३६१९) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  4. बहुत ही सुंदर शिव वंदना ,शिव की कृपा आप पर बनी रहें

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  5. ओम नमः शिवाय.
    बहुत सुन्दर सृजन सखी 👏 👏 👏

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